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यूपी: लखनऊ में कोरोना काल में कईयों का सहारा बनी पीएम स्वनिधि योजना।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो चरणों का मतदान हो चुका है। लखनऊ की नौ विधानसभा सीटों पर चौथे चरण में 23 को मतदान होगा। ऐसे में मतदाताओं के मन को भांपते हुए पेश है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए बात करने वाले विजय बहादुर (खुशीराम भेलपुरी वाला) का चेहरा आत्मविश्वास से भरा है। वह कोरोना काल में आए आर्थिक संकट से उबारने के लिए प्रधानमंत्री की तारीफ करते नहीं थकते हैं।
वहीं भेल-पूरी का ठेला लगाने वाले विजय बहादुर उत्तर विधानसभा सीट के दौलत गंज में रहते हैं। कहते हैं कि लाकडाउन में जमा पूंजी खत्म हो गई थी। दुकान खुली तो भेलपूरी तैयार करने का सामान नहीं था। चौक में लोहिया पार्क के सामने मार्केट में दुकान लगाने वाले विजय बहादुर कहते हैं कि कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही थी।
वहीं सूदखोर दस हजार देने से पहले एक हजार ब्याज की रकम काटने की बात कहते थे और दस प्रतिशत महीना ब्याज था। तभी प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना की जानकारी हुई। योजना का फार्म भरा और एक अक्टूबर 2020 को दस हजार का लोन मिल गया। इस लोन को बारह किस्तों में अदा करने के साथ ही बीस हजार का लोन फिर से ले लिया।
वहीं सात प्रतिशत सालाना ब्याज वाले इस लोन का उन्हें यह लाभ मिला तो समय से किस्त जमा करने से उन्हें ब्याज की रकम से भी राहत मिल गई। डिजिटल पेमेंट पर जोर देने से पेटीएम की तरफ से विजय बहादुर को बारह सौ की रकम मिली। विजय कहते हैं कि उन्हें ब्याज की रकम से इस तरह से राहत मिल गई थी। अब भेलपुरी की दुकान चलने लगी।
वहीं पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने उनसे वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए बात की थी और वह देशभर में चर्चा में आ गया। उसकी दुकान का नाम खुशीराम भेलपुरी वाला है और फिर दुकान पर आने वालों की भीड़ हो गई। वह कहते हैं कि लोन मिलने के बाद घर में भी खुशी छा गई।
वहीं गोल दरवाजे पर ठेले पर दालमोंठ और अन्य नमकीन बेचने वाले दौलतगंज निवासी सतीश कुमार गुप्ता कहते हैं कि लोन की दस हजार की रकम डूबते के लिए तिनके का सहारा जैसी थी। बड़ा परिवार था और अचानक लाकडाउन लग गया और बची नमकीन घर में इस्तेमाल हो गई।
वहीं लाकडाउन खत्म हुआ तो रोजगार चालू की चिंता सता रही थी। तभी बड़ी आस बनकर पीएम स्वनिधि योजना आ गई। लोन मिला और दुकान फिर से चलने लगी। अब दोबारा लोन लेने जा रहे हैं। चौक में मटर और खस्ता बेचने वाले अशोक कुमार लाकडाउन के समय को याद करते हुए उदास हो जाते हैं। कहते हैं कि लोन में मिले दस हजार ने उनके रोजगार को सहारा दे दिया और वह लोन की रकम अदा कर बीस हजार का लोन फिर ले चुके हैं। उसकी भी अदायगी कर रहे हैं और दुकान पर रौनक दिखने लगी है।