Headlines
Loading...
यूपी : आजमगढ़ की बदलती पहचान को लेकर शहर के शरीफ लोग हुए चिंतित।

यूपी : आजमगढ़ की बदलती पहचान को लेकर शहर के शरीफ लोग हुए चिंतित।


आजमगढ़। पूर्वांचल के एक जिले आजमगढ़ की मिट्टी ने राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, कैफी आजमी और हल्दीघाटी कविता लिखनेवाले कवि श्यामनारायण पांडेय जैसे श्रेष्ठ साहित्यकार दिए। झारखंडे राय जैसे राजनेता दिए। लेकिन उसी आजमगढ़ की चर्चा आज के अखबारों में संजरपुर और सरायमीर जैसे मुहल्लों के कारण होती है। क्योंकि इन्हीं मुहल्लों से अबू सलेम जैसे माफिया और विभिन्न आतंकी घटनाओं से जुडऩेवाले सजायाफ्ता आतंकियों के नाम सामने आते हैं। आजमगढ़ की इस प्रकार बदलती पहचान को लेकर शहर के शरीफ लोग चिंतित हैं।

वहीं आजमगढ़ में सिधारी बबुआन के रहने वाले जिल्लुर्रहमान के पूर्वज करीब 450 वर्ष पहले राजपूत हुआ करते थे। जिल्लुर्रहमान कहते हैं कि वे राजा संग्राम देव सिंह के वंशज थे। सन 1665 के आसपास उन्हीं के एक पूर्वज राजा विक्रमजीत सिंह के दो बेटों आजम शाह एवं अजमत शाह ने आजमगढ़ बसाया। 

वहीं यही कारण है कि इस शहर में आज भी मुस्लिमों का एक पूरा मुहल्ला बबुआन क्षेत्र खुद को हिंदू रीति-रिवाजों एवं परंपराओं के करीब पाता है। जिल्लुर्रहमान मुलायम सिंह यादव के समय में समाजवादी हुआ करते थे। लेकिन अब समाजवाद के बदलते तौर-तरीके उन्हें रास नहीं आ रहे हैं। वह कहते हैं कि आज जब कुछ लोगों के कारण आजमगढ़ का नाम बदनाम होता है, तो बड़ा कष्ट होता है। 

वहीं हमारे पूर्वजों ने आजमगढ़ इसलिए नहीं बसाया था कि उसका नाम इस तरह से बदनाम हो। जिल्लुर्रहमान सवाल करते हैं कि आज जिन सजायाफ्ता लोगों के कारण इस शहर का नाम बदनाम होता है, उनका योगदान ही क्या है इस शहर में, सिवाय आजमगढ़ को कमजोर करने के? वह वर्तमान कानून-व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहते हैं।

वहीं एक समय जहां पूरे उत्तर प्रदेश में अपराधियों का ही बोलबाला हुआ करता था, आज अपराध काफी हद तक नियंत्रित नजर आ रहा है। अपराधियों का सफाया तो इस शासन में हुआ ही है। इससे आम लोगों को राहत भी मिली है। इसके अलावा बिजली की स्थिति में भी काफी सुधार हुआ है। भाजपा में लौटे आलोक त्रिपाठी भी हाल ही में अहमदाबाद विस्फोट कांड के फैसले से चर्चा में आए संजरपुर मुहल्ले के कारण चिंतित नजर आए। वह कहते हैं कि देश का नेतृत्व जैसा होगा, युवा भी वैसा ही बनने का प्रयास करेगा।

वहीं जब उत्तर प्रदेश में नकल करके पास होने की खुली छूट हुआ करती थी। अभिभावक भी अपने बच्चों को खुद ही नकल कराने जाया करते थे। लेकिन इस प्रकार पास होकर निकले बच्चे ही जीवन में असफल होते हैं तो गालियां सरकार को दी जाती हैं। बात बेरोजगारी बढऩे की होती है। त्रिपाठी के अनुसार नई पीढ़ी को सही दिशा देने के लिए जब तक सही माहौल नहीं बनाया जाएगा, तब तक तो युवा पीढ़ी संजरपुर और सरायमीर के 'बिगड़े नवाबों में ही अपने आदर्श खोजती रहेगी।

वहीं दूसरी तरफ़ आजमगढ़ में मूंगे के गणेश जी का एक भव्य प्राचीन मंदिर है। आसपास के जिलों से भी लोग इन गणपति बप्पा के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर के महंत राजेश मिश्र कहते हैं कि मैंने 1977 के चुनाव में भी काम किया है। उस दौरान जैसा 'अंडर करंट इंदिरा सरकार के खिलाफ दिखाई दे रहा था, इस बार वैसा ही 'अंडर करंट योगी सरकार के पक्ष में दिखाई दे रहा है। 

वहीं इसका कारण पूछने पर राजेश मिश्र कहते हैं कि जो दलित वर्ग कभी मायावती के साथ प्रतिबद्ध होकर खड़ा नजर आता था, उसका बड़ा हिस्सा इस बार भाजपा के साथ नजर आ रहा है। क्योंकि कोरोना काल में भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए मुफ्त अनाज वितरण का लाभ यदि इस वर्ग को न मिलता तो यह वर्ग बड़े संकट में फंस सकता था। यह बात इस वर्ग के पढ़े-लिखे लोग एवं महिलाएं अच्छी तरह समझ रही हैं।