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यूपी: गाड़ियों के वायरिंग में छेड़छाड़ और अधिक एक्सेसरीज से लगती है आग, वहीं जानें- बचाव के जरूरी उपाय। .
लखनऊ। कार में मानक से अधिक एक्सेसरीज कतई न लगवाएं। कंपनी से लगी इलेक्ट्रिकल वायरिंग में कतई छेड़छाड़ न करें, नहीं तो सड़क पर दौड़ती आपकी कार किसी भी समय आग का गोला बन सकती है। कंपनी अपने मानकों के अनुसार उसमें लाइट, साउंड फिटिंग, एसी, ब्लोअर, सीएनजी किट और अन्य वस्तुएं लगा कर देती है। पर जब आप बाहर से उसमें अधिक एक्सेसरीज , लाइट, हूटर और डबल हार्न लगवाते हैं तो वायरिंग पर ज्यादा जोर पड़ता है शार्ट सर्किट होता अथवा अन्य कारणों से आप हादसे के शिकार होते हैं। यह जानकारी चीफ फायर अफसर विजय कुमार सिंह ने दी।
वहीं दूसरी तरफ सीएफओ ने बताया कि कार के शीशे और लाक करके गाड़ी में एरोसोल परफ्यूम का इस्तेमाल न करें। क्योंकि यह तीब्र ज्वलनशील होता है। इसके स्प्रे के दौरान अगर कार में बैठे किसी अन्य व्यक्ति ने अथवा थोड़ी देर बाद ही सिगरेट अथवा लाइटर जलाया तो तुरंत आग लग सकती है।
वहीं रोड सेफ्टी एक्सपर्ट मोहम्मद ऐहतेशाम ने बताया कि कभी कभार आग लगने के बाद कार और सीट बेल्ट एकाएक लाक हो जाती है। ऐसी स्थित में कार में बैठे लोगों का बाहर निकलना संभव नहीं हो पाता है। इस स्थिति में कार चलाने वाले व्यक्ति को सुरक्षा के ²ष्टिगत कार में कैंची और हथौड़ा रखना चाहिए। जिससे ऐसी आकस्मिक घटना होने पर कैंची से सीट बेल्ट तत्काल काटी जा सके और हथौड़े से शीशा तोड़कर बाहर निकल सकें।
वहीं दूसरी तरफ सीएफओ विजय कुमार सिंह ने बताया कि कार में आग लगने के तीन कारण होते हैं। फ्यूल-गैस लीकेज अथवा शार्ट सर्किट के कारण लगती है। इस लिए गाड़ी की सर्विसिंग समय-समय पर कराते रहें। जिससे इसकी जानकारी होती रहे। सर्विसिंग अथराइज सेंटर से ही कराएं। क्योंकि कंपनी अपने मानकों के अनुसार काम करती है। गाड़ी में अगर सीएनजी किट भी लगवाएं तो वह कंपनी से ही लगवाएं। कुछ रुपये बचाने के चक्कर में बिना सर्टीफाइड वर्कशॉप से न लगवाएं। गाड़ी में कभी भी एलपीजी सिलिंडर कतई न लगवाएं।
वहीं सीएनजी गाड़ियों में आग लगने का एक प्रमुख कारण यह होता है कि लोग एकाएक फ्यूल खत्म होने पर सीएनजी मोड पर कर देते हैं। या सीएनजी खत्म होने पर चलते-चलते ही पेट्रोल मोड पर लगा देते हैं। ऐसे में कफी कभार दिक्कत होती है और लग जाती है। सीएनजी खत्म होने पर गाड़ी को धीमा करके रोके और फिर उसमें पेट्रोल मोड लगाकर स्टार्ट करके चलाएं।
वहीं आग अगर स्टेयरिंग के निचले हिस्से में लगी हो तो बचाव के लिए गाड़ी तुरंत साइड में करें और बोनट खोलकर बैटरी के तार खोल देने चाहिए। तत्काल गाड़ी में रखे फायर एस्टिगुशर से आग बुझा देनी चाहिए।
गाड़ी में फायर एस्टिगुशर अवश्य लगा कर रखें। समय समय पर उसे चेक भी करते रहें। फ्यूल के रिसाव से आग केबिन के अंदर तक पहुंच जाती है। इस लिए यह आग बहुत खतरनाक होती है। इससे बचने के लिए समय भी बहुत कम होता है। ऐसी स्थित में गाड़ी जल्द किनारे कर रोकें और सबसे पहले सुरक्षित बाहर निकल ककर तत्काल फायर ब्रिगेड को सूचना दें।
1. अथराइज्ड सर्विस सेंटर पर ही गाड़ी की सर्विसिंग कराएं।
2. फ्लाइओवर की ढाल पर एकाएक गाड़ी बंद करके स्टार्ट न करें।
3. लगाकार 200-300 किमी गाड़ी चलाने के बाद 10-15 मिनट का ब्रेक ले लें। इससे गाड़ी की हीट भी कम हो जाएगी और आपको भी आराम मिलेगा।
4. अधिक देर तक लगातार एसी और ब्लोअर न चलाएं।
कभी कभार टायर की ओवर हीटिंग से भी आग लग जाती है इस लिए दो से 300 किमी चलने के बाद थोड़ी देर के लिए गाड़ी रोक दें।
5. डबल हार्न कतई न लगवाएं।