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यूपी: लखनऊ में महिला अपराधों में आई भारी कमी, सड़क से लेकर दफ्तर तक सुरक्षित भरा माहौल।

यूपी: लखनऊ में महिला अपराधों में आई भारी कमी, सड़क से लेकर दफ्तर तक सुरक्षित भरा माहौल।


लखनऊ। एक दौर था जब महिलाओं के प्रति अपराध का सिलसिला थम नहीं रहा था। मोहनलालगंज का बलसिंह खेड़ा कांड हो या फिर गौरी हत्याकांड। ऐसी घटनाओं ने राजधानी में भय का माहौल बना दिया था। लोग डरिए की लखनऊ में हैं जैसे स्लोगन गढ़ने लगे थे। हालांकि वक्त के साथ महिलाओं के साथ होने वाली संगीन घटनाएं कम हुईं और आंकड़ों में भी तेजी से गिरावट दर्ज की गई। अब लोग फिर से कह रहे हैं। कि  मुस्कुराइए की आप लखनऊ में हैं।

वहीं राजधानीवासी ये दावा यूं ही नहीं कर रहे। इसके पीछे एनसीआरबी के आंकड़े गवाह हैं। एनसीआरबी 2020 के आंकड़ों के मुताबिक लखनऊ में महिलाएं सड़क से लेकर दफ्तर तक सुरक्षित हैं। स्वस्थ माहौल में काम कर रही हैं और उनके साथ दफ्तरों में यौन शोषण की कोई घटना नहीं हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में महिला अपराध के मामलों में दिल्ली 9782 मामलों के साथ एक नंबर पर है। 

वहीं, 4583 मामलों के साथ मुंबई दूसरे और 2730 मामलों के साथ बेंगलुरु तीसरे स्थान पर है। लखनऊ में महिलाओं पर हमले के दौरान उनके साथ यौन शोषण की कोई घटना नहीं दर्ज की गई। यही नहीं महिलाओं पर हमले के मामले में भी लखनऊ अन्य शहरों दिल्ली व मुंबई से पीछे रहा। सार्वजनिक परिवहन में यात्रा के दौरान भी महिलाएं लखनऊ में सुरक्षित रहीं। आंकड़ों के मुताबिक पहले की अपेक्षा यात्रा के दौरान महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं में काफी कमी आई है और ऐसा लखनऊ के अलावा अन्य शहरों में भी पाया गया है।

वहीं लखनऊ में साइबर अपराधियों का दखल बढ़ा है। महिलाओं के प्रति साइबर अपराध की घटनाएं बैंगलुरु के बाद लखनऊ में हुईं। इसके पीछे जागरुकता का अभाव भी रहा। इंटरनेट मीडिया के इस्तेमाल के दौरान सजगता नहीं बरतने के कारण महिलाएं ठगी का शिकार हुईं। रिपाेर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा बैंगलुरु में 63 और लखनऊ में 43 मामले सामने आए।

वहीं चौराहों पर अब पुलिस मौजूद दिखती है। देर रात हो या सुबह। अब घर से बाहर निकलने में डर नहीं लगता। रात में परिवार के साथ या कैब से अकेले घर लौटने में पहले सोचना पड़ता था। अब आधी रात में भी निकलना हो तो सोचना नहीं पड़ता। पुलिस की सक्रियता से अब मैं खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं।

वहीं दूसरी तरफ रेस्टोरेंट हो या क्लब। अब तो हर जगह महिलाओं को सुरक्षित माहौल में अपना काम करते देखा जा सकता है। पहले परिवार के साथ भी महिलाएं रात में निकलने से डरती थीं, लेकिन अब ऐसा नहीं है। शरारती व अराजक तत्वों में भय का माहौल देखने को मिला है। पिंक बूथ पर महिला पुलिस मौजूद रहती है, जिसे देखकर खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं।