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यूपी: वाराणसी में बाबा श्रीकाशी विश्‍वनाथ का तिलक उत्‍सव शुरू, वहीं महंत आवास में लोकाचार की परंपरा हुईं शुरू।

यूपी: वाराणसी में बाबा श्रीकाशी विश्‍वनाथ का तिलक उत्‍सव शुरू, वहीं महंत आवास में लोकाचार की परंपरा हुईं शुरू।

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वाराणसी। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर वसंत पंचमी के मान विधान के तहत शनिवार को बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ का तिलक उत्सव भोर में रजत पंचवदन प्रतिमा की मंगला आरती के साथ शुरू हो गया। टेढी नीम स्थित नए महंत डा. कुलपति तिवारी के आवास में इसके लोकाचार शुरू किए गए। 

वहीं ग्यारह वैदिक ब्राह्मणों ने चतुर्वेद की ऋचाओं का पाठ किया। बाबा का सविधि जल और दूध से अभिषेक करने के साथ ही वेद मंत्रों के बीच फल और मिष्ठान समेत फलाहार का भोग अर्पित किया गया।

वहीं दोपहर बाद बाबा की रजत पंचवदन प्रतिमा का शृंगार किया जाएगा। नए-वस्त्र आभूषण धारण कराने के साथ वसंत पंचमी पर्व अनुसार पीले फूलों से झांकी जाएगी। मध्याह्न भोग आरती के साथ विजयायुक्त ठंडाई अर्पित की जाएगा। शहनाई की धुन के बीच महिलाएं मंगल गीत गाएंगी। सायंकाल दूल्हा बने बाबा राजसी स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे। 

वहीं महंत डा. कुलपति तिवारी के नेतृत्व में पूजन-अर्चन किया जाएगा। डिम डिम करते डमरुओं की थाप के बीच तिलक शोभायात्रा निकाली जाएगी। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर समाजसेवी केशव जालान काशीवासीयों की ओर से बाबा का तिलक चढाने महंत आवास आएंगे। लग्न अनुसार तिलक की रस्म पूरी की जाएगी। 

वहीं वास्तव में देवाधिदेव महादेव बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ का विवाह माता गौरा के साथ महाशिवरात्रि पर हुआ था। होली से पांच दिन पहले रंगभरी एकादशी पर गौना हुआ और गौरा ससुराल आईं। इससे पहले वसंत पंचमी पर हिमालय राज महाराज दक्ष ने औघड़दानी बाबा का तिलक चढ़ा कर उनका अपनी पुत्र के लिए वर रूप में वरण किया। 

वहीं तिलक, विवाह और रंगभरी एकादशी पर गौना की परंपरा का श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार सदियों से निर्वहन कर रहा है। वर्ष 1983 में मंदिर का शासन द्वारा सरकारी तौर पर अधिग्रहण के बाद भी परंपरा जारी है। तिलक की रस्म पूरी करने के बाद महंत परिवार बाबा के विवाह उत्सव और गौना की रस्म निभाने की तैयारियों में जुट जाएगा।