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यूपी: वाराणसी कान, नाक व गला रोग की विशेषज्ञ डा. प्रीति सिंह ने कहा कि कान में सरसों का तेल डालने से इंफेक्शन का बढ़ता है खतरा।
वाराणसी। कान में सरसों के तेल के उपयोग को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। पूर्व में सरसो के तेल का उपयोग किया जाता था। लेकिन अब चिकित्सक इसके लिए मना कर रहे हैं। इस संबंध में कान, नाक व गला रोग की विशेषज्ञ डा. प्रीति सिंह ने कहा कि हम कभी भी कान के मरीजों के लिए सरसो के तेल के उपयोग की सलाह नहीं देते। खासतौर से उनके लिए जिनके कान के पर्दे में छेद हो। उनका मानना है कि सरसों का तेल लुब्रीकेंट टाइप का होता है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
वहीं कान में किसी तरह की परेशानी हो तो चिकित्सक की सलाह पर दवा व इयर ड्राप का प्रयोग करना चाहिए। कहा कि ठंड के मौसम में कान के मरीजों की समस्या बढ़ जाती है। खासतौर से एलर्जिक मरीजों के लिए मुश्किल हो जाती है और अभी ऐसे मरीज ज्यादा संख्या में पहुंच रहे हैं। कारण है कि ठंड से नाक व गले की समस्या होती है, जिसके कारण कान की समस्या भी बढ़ जाती है।
वहीं ऐसे मरीजों को ठंड से बचाव करना चाहिए। डस्ट से एलर्जी वाले मरीजों को मास्क का उपयोग करना चाहिए। कान की समस्या झेल रहे मरीजों के लिए उन्होंने सलाह दी कि कान पानी नहीं जाना चाहिए। इसलिए नहाते समय इसका विशेष ख्याल रखें कि पानी कान में तो नहीं जा रहा है।
वहीं कहा कि कान के पर्दे में छेद का एकमात्र इलाज है आपरेशन। लेकिन एलर्जिक मरीजों को आपरेशन के बाद भी विशेष ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि एलर्जी की समस्या बार-बार होगी तो फिर से पर्दे में छेद की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि आपरेशन में कान की सफाई व ग्राफ्टिंग अच्चे तरीके से हो तथा पर्दे अच्छे से लगाए जाएं तो फिर से छेद होने की संभावना बहुत ही कम होती है। एलर्जी के मरीजों को अपने इम्यूनिटी पर विशेष ध्यान देना चाहिए।