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यूपी: लखनऊ में दुबई में वसंतोत्सव की मचा धूम, लोकगायिका मालिनी अवस्थी के सुरों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिखेरी रौनक।
लखनऊ। इंद्रधनुषी आभा लिए दुबई एक्सपो-2020 के इंडियन पवैलियन का मंच और उस पर चमकता 'वसंत पंचमी इंडिया...। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय संस्कृति की अमिट छाप लिए अविस्मरणीय शाम सजी। वसंत पंचमी से ही गांव-गांव में सुनाई दी जाने वाली फाग और फगुआ की तान दुबई तक पहुंची। प्रख्यात लोक गायिका मालिनी अवस्थी इसकी सुरमयी संवाहक और भारत की आवाज बनीं। मालिनी अवस्थी के सुरों में वसंत पंचमी के उल्लास, उमंग, ऊर्जा और हर्ष से पगी प्रस्तुति से विदेशी दर्शक भी आनंदमय होकर झूम उठे।
वहीं प्रस्तुति से उल्लसित और गर्वित मालिनी अवस्थी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए सोचा गया, यह बड़ी बात है। भारत को लेकर सोच में बड़ा परिवर्तन आया है, यह सुखद और संतोषप्रद है। भारत की जो सांस्कृतिक विरासत है, उसमें संगीत, परंपरा और संस्कृति सब मिली हुई है। हमने अपने देश और वसंत का प्रतिनिधित्व किया, यह अद्भुत अहसास है।
वहीं दूसरी तरफ वसंत पंचमी पर विदेशी दर्शकों को पीला वस्त्र पहने देख प्रफुल्लित मालिनी अवस्थी ने कहा कि ये भारतीय संस्कृति की खूबसूरती है कि यहां मृत्यु भी उत्सव है। हर कोई इस समृद्ध संस्कृति को समझना चाहता है, इससे जुड़ना चाहता है। पुरखों की थाती को सुनने और देखने के लिए लोग एकत्र हुए, ये दिखाता है कि ये धारा चलती रहेगी।
वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कहा कि हमारा देश बहुत भाग्यवान है कि हमारे यहां छह ऋतुएं हाेती हैं। उन्होंने वसंत का अर्थ समझाते हुए होरी गीत 'रंगी सारी गुलाबी चुनरिया रे मोहे मारे नजरिया सावरिया रे...' के साथ प्रस्तुति की शुरुआत की। रंग गाए बिना वसंत पंचमी अधूरी है... उन्होंने कहा- हजरत अमीर खुसरो साहब ने अपने पीर उस्ताद निजामुद्दीन औलिया की नजर करके जो रंग कहा वो ऐसी रवायत है कि कोई भी फनकार आज किसी भी जगह पर जाए तो सजदे में सबसे पहले रंग गाते हैं।
वहीं रंग डारूंगी नंद के लालन पर...' गीत के साथ अपने आराध्य के प्रति वह भाव वर्णित किया, जहां भक्त और भगवान एकरंग होकर नाचते और गाते हैं। समूह में गाए जाने वाले धमार गीत 'रंगवा औरी अबीर खेलत भिजली बदनिया...' को दर्शकों ने भी साथ गाया। विदेशी धरती पर वसंत की रौनक को मोबाइल में कैद करते चेहरों ने फाल्गुन गीतों की और फरमाइश की, फिर मालिनी अवस्थी ने सुनाया- 'होरी खेला तू जमके घूंघट वाली...'।
वहीं फाल्गुन गीतों के बीच सुरों की रेल चली और 'रेलिया बैरन पिया को लिये जाए रे...' पर खूब तालियां बजीं। 'आज बिरज में होरी मोरे रसिया...' गीत के साथ ही हर कोई बोल उठा- 'जोगिरा सारा रा रा...'। जोरदार तालियों के बीच 'होरी खैले रघुबीरा अवध मा...' गीत पर नाचते-गाते दर्शकों के बीच प्रस्तुति का समापन हुआ। हारमोनियम पर धर्मनाथ मिश्र, सारंगी पर मुराद अली खां, तबले पर मुकेश कुमार, ढोलक पर अमित कुमार, आक्टोपैड पर धर्मेंद्र कुमार और की बोर्ड पर सचिन कुमार ने खूब साथ निभाया।