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यूपी : केंद्र सरकार की योजनाओं से स्वावलंबी बनीं लखनऊ की महिलाएं।

यूपी : केंद्र सरकार की योजनाओं से स्वावलंबी बनीं लखनऊ की महिलाएं।


लखनऊ। दुबग्गा के फरीदीपुर की आरती चौरसिया पति मनोज और दो बच्चों के साथ किराये के मकान में रहती थीं। उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2.50 लाख रुपये मिले और आज वह अपने खुद के घर की मालकिन बनकर बेहद खुश हैं। 

वहीं आरती परिवार के साथ अपने पक्के घर में सुरक्षित महसूस करती हैं। आरती चौरसिया के अनुसार पक्का आवास होने के बाद अब हमें बारिश और ठंड का डर भी नहीं लगता है। सरकार की यह सराहनीय पहल है कि ऐसी योजना बनाई गई, जिससे गरीबों का अपने पक्के घर में रहने का सपना पूरा हो सका।

वहीं दूसरी तरफ़ आरती कहती हैं कि मकान का जो किराया बचता है, उसे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जमा कर पाती हूं। उन्होंने आगे कहा कि जिसने हमारे सिर पर पक्की छत दी, हम तो उन्हीं के साथ हैं। ये हमारी जिम्मेदारी भी है कि जो हमारे घर के लिए सोचता है, हम भी उनके लिए चिंता करें। आरती के साथ ही रामावती, विनीता, शाकरा, सीमा, मीता और गुड्डा जैसी कई महिलाएं हैं।

वहीं जिन्हें केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं से मजबूती मिली। न सिर्फ सिर पर पक्की छत आई, बल्कि उनका जीवन सम्मानजनक बना। महिलाओं को स्वावलंबी और सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाईं। इन योजनाओं का लाभ उठाकर महिलाओं के जीवन में सुखद बदलाव आया। 

वहीं दूसरी तरफ़ कुर्सी रोड के मायापुरी कालाेनी की रहने वाली रामावती का भी अब कच्चा नहीं, खुद का पक्का आवास है। काकोरी की रहने वाली शाकरा बताती हैं कि पहले कच्चा मकान था, फिर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला और खुद के पक्के आवास का सपना पूरा हो सका। शाकरा के अनुसार हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमारा खुद का अपना पक्का घर होगा, पर सरकार की योजना से यह संभव हो सका। 

वहीं ऐसे ही काकोरी की सीमा भी अब पक्के घर की स्वामिनी हैं। सीमा ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना गरीब वर्ग के लिए बहुत बड़ा उपहार है। दौलतगंज की विनीता को प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत सहारा मिला। घर से ही छोटा-मोटा काम भी शुरू कर सकीं। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत रसोई में गैस चूल्हा तो पहले से ही जल रहा था। विशेषकर कोरोना संकट के समय मुफ्त राशन ने राहत दी। 

वहीं फैजुल्लागंज की मीता और गुड्डा के चेहरे पर भी खुशी नजर आती है कि अब उनके लिए इज्जतघर का प्रबंध हो गया है। मीता और गुड्डा दोनों ही कहती हैं कि सरकार ने हमारी मूलभूत सुविधाओं के बारे में सोचा, स्वच्छता और सुरक्षा का प्रबंध किया। हमें आर्थिक मदद भी मिली। 

वहीं आलमबाग बस अड्डे के पीछे रहने वाली माजिदून खान, शाहिदा खातून, सामारतू बानू, राजिया खातून, माजदा खातून समेत तमाम महिलाओं ने भी सरकार की विभिन्न योजनाओं पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमारा जन धन खाता खुला, संकट के समय में आर्थिक मदद से गृहस्थी की गाड़ी संभली।