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पंजाब : अमृतसर में आनलाइन पेटीएम कस्टमर केयर बन साइबर ठग ने खाते से उड़ाए 1.35 लाख।

पंजाब : अमृतसर में आनलाइन पेटीएम कस्टमर केयर बन साइबर ठग ने खाते से उड़ाए 1.35 लाख।

                      Jaspreet Kaur Singh Reporter

अमृतसर। आनलाइन शापिंग करने वाले सावधानी बरतें क्योंकि साइबर अपराधी उन्हें ठगने के लिए नए-नए हथकंडों का प्रयोग कर रहे हैं। कभी किसी को अपने एटीएम या क्रेडिट कार्ड से जुड़ी निजी जानकारी न दें। साइबर ठगी का ऐसा ही एक नया मामला गुरुनगरी में सामने आया है। 

वहीं पेटीएम के कस्टमर केयर से बात करने के लिए जब प्रेम सिंह ने गूगल पर जाकर हेल्पलाइन नंबर तलाश कर बात की तो उनके खाते से 1.35 लाख रुपये किसी अन्य के बैंक खाते में ट्रांसफर हो गए। प्रेम सिंह ने एटीएम के फास्टटैग में एक हजार रुपये डाले थे।

वहीं फिलहाल बी डिवीजन थाने की पुलिस ने अज्ञात हैकरों के खिलाफ धोखाधड़ी और आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है। इंस्पेक्टर लवदीप सिंह ने बताया कि बैंक का रिकार्ड मंगवाया गया है। जल्द आरोपितों की शिनाख्त कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

वहीं सुल्तानविंड निवासी प्रेम सिंह ने पुलिस को बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने पेटीएम का फास्टैग लिया था। उन्होंने अपने बैंक खाते से पेटीएम फास्टटैग में एक हजार रुपये डाले थे। लेकिन यह पैसे वहां नहीं पहुंच सके। इसके बाद उन्होंने गूगल पर जाकर पेटीएम का कस्टमर ढूंढा। गूगल से उन्हें एक कस्टमर केयर का नंबर मिला और उन्होंने वहां काल की। पहली बार काल कट गई और कुछ देर बाद अन्य मोबाइल नंबर से उनके मोबाइल पर बेल बजी।

वहीं काल करने वाले ने खुद को पेटीएम कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव बताया। फिर आरोपित ने उनसे समस्या को लेकर सारी जानकारी एकत्र कर ली। आरोपित ने उन्हें बताया कि वह उन्हें लिंक भेज रहा है और वह उसे डाउनलोड कर लें और आन लाइन फार्म भरने को कहा। आरोपित ने बताया कि जानकारियां भरने के बाद उनके पैसे फास्टटैग में पहुंच जाएंगे। प्रेम सिंह ने बताया कि जैसे ही उन्होंने फार्म में जानकारियां भरकर सबमिट गया तो उनके बैंक खाते से 1.35 लाख रुपये अन्य बैंक खाते में ट्रांसफर हो गए।

वहीं साइबर ठग पहले एनीडेस्क जैसे एप डाउनलोड करवा लेते हैं। इस एप की मदद से साइबर ठग की आपके मोबाइल तक एक्सेस हो जाती है। इसके बाद वह एक फार्म में डेबिट कार्ड की डिटेल भरने को कहता है। डिटेल भरते ही वह खाते से पैसे उड़ जाते हैं क्योंकि मोबाइल तक एक्सेस होने के कारण उसे ओटीपी पूछने की जरूरत नहीं पड़ती है।