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यूपी : वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगल गीतों के बीच माता गौरा के तन सजी हल्दी। वहीं 14 मार्च की रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी। .
वाराणसी। फागुन शुक्ल एकादशी पर रंगभरी एकादशी के मान-विधान के तहत श्री काशी विश्वनाथ गौरा का गौना कराएंगे। इसकी रंगत महंत आवास पर निखर उठी है। वहां रौनक गौरा के मायके की तरह है। मुख्य उत्सव तो रंगभरी एकादशी पर 14 मार्च को मनाया जाएगा, लेकिन इसकी रौनक छाने लगी है। शुक्रवार को टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर गौरा के रजत विग्रह को हल्दी लगाई गई।
वहीं तेल-हल्दी की रस्म के लिए सुहागिनों और गवनहारियों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची। इसमें मोहल्ले की बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हुईं। ढोलक की थाप और मजीरे की खनक के बीच मंगल गीत गाते हुए गौरा को हल्दी लगाई। इससे परिसर गुंजायमान हो उठा। लोक संगीत के बीच शिव-पार्वती के मंगल दांपत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर तक चला।
वहीं 'गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावा..','सुकुमारी गौरा कइसे कैलास चढि़हें..', 'गौरा गोदी में लेके गणेश विदा होइहैं ससुरारी..' आदि गीतों में गौने के दौरान दिखने वाली ²श्यावली का बखान किया गया। मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि गौना के लिए कहां क्या तैयारी हो रही है। दुल्हे के स्वागत के लिए कौन-कौन से पकवान बनाए जा रहे हैं।
वहीं सखियां पार्वती का साज श्रृंगार करने के लिए कैसे कैसे सुंदर फूल चुन कर ला रही हैं। हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए 'साठी क चाऊर चूमिय चूमिय.' गीत गाकर महिलाओं ने गौरा की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। महंत डा. कुलपति तिवारी के सानिध्य में संजीव रत्न मिश्र ने माता गौरा का श्रृंगार किया।
वहीं अंकशास्त्री पं. वाचस्पति तिवारी के संयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम ''शिवांजली'' का आयोजन किया गया। इसमें आराधना सिंह, पुनीत कृष्ण जेटली, संजय दुबे, प्रियंका पांडेय व रीता शर्मा ने शिव भजनों की प्रस्तुति की।
वहीं अब रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा निकाली जाएगी। लोकाचार के लिए महंत आवास पर पालकी की मरम्मत से लेकर बाबा के राजसी स्वरूप और पूजन परंपरा के साथ गौरा के गौना के सामान सूची बद्ध कर लिए गए हैं।