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यूपी : वाराणसी में 31 साल पहले दायर हुआ था वाद, वहीं 1991 में सोमनाथ व्यास व अन्य ने दायर किया था मुकदमा।

यूपी : वाराणसी में 31 साल पहले दायर हुआ था वाद, वहीं 1991 में सोमनाथ व्यास व अन्य ने दायर किया था मुकदमा।

                          Sumit Malviya City Reporter

वाराणसी। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर पं. सोमनाथ व्यास, डा. रामरंग शर्मा एवं अन्य ने 15 अक्टूबर 1991 को सिविल जज (सी.डि.)की अदालत में वाद दायर किया था। वाद में कहा गया कि विवादित स्थल स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंश है। 

वहीं हिंदुओं को उक्त स्थल पर पूजा-पाठ, दर्शन-पूजन एवं अन्य धार्मिक कार्य करने का अधिकार है। इस विवादित ढांचा के नीचे ज्योर्तिलिंग और उनका अर्घा विद्यमान है। इस वाद पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति की गई। दलील दी गई कि यह वाद पोषणीय नहीं है क्योंकि पूजा-स्थल विशेष उपबंध अधिनियम 1991 की धारा -चार से बाधित है।

वहीं स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से दलील दी गई कि 15 अगस्त 1947 को ज्ञानवापी विवादित स्थल का स्वरुप मंदिर का ही था, क्योंकि इसके नीचे 15 वीं शताब्दी के मंदिर का अवशेष है। ढांचे की अंदरूनी आकृति मंदिर की है और ऊपर तीन गुंबद बना दिए गए हैं। अपर सिविल जज ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद उक्त वाद को पूजा-स्थल विशेष उपबंध अधिनियम 1991 की धारा-चार से बाधित होने के संबंध मे दावे में मांगे गये अनुतोष में संशोधन के लिए आदेश दिया एवं संशोधन के साथ दावा चलने का आदेश दिया। 

वहीं इस आदेश के विरुद्ध दोनों पक्षों द्वारा सिविल रिवीजन जिला जज की अदालत में दाखिल किया गया। अपर जिला जज (प्रथम) की अदालत ने सुनवाई करते हुए सिविल जज के निर्णय को निरस्त कर दिया और कहा कि बिना मौके का साक्ष्य लिए बगैर यह नहीं कहा जा सकता है कि विवादित स्थल का धार्मिक स्वरुप मंदिर का है या मस्जिद का। अदालत ने पूरे परिसर का विस्तृत साक्ष्य संकलित कराने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ अंजूमन इंतजामिया मसाजिद व उ.प्र. सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ की ओर से वर्ष 1998 में हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई।

वहीं इस बीच पं. सोमनाथ व्यास की सात मार्च 2000 को मृत्यु हो गई। तत्पश्चात् मुकदमे में उनके स्थान पर पैरवी करने के लिए अदालत ने 11 अक्टूबर 2018 को पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वाद मित्र नियुक्त किया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने अयोध्या की भांति ज्ञानवापी परिसर एवं कथित विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से रडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अदालत से अपील की। 

वहीं इस अपील पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से आपत्ति की गई। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी ने वादी और प्रतिवादी पक्ष की बहसों को सुनने एवं नजीरों के अवलोकन के बाद आठ अप्रैल 2021 को वाद मित्र की अपील को मंजूर कर लिया और पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की गई है। इस याचिका का निस्तारण होना है।