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हिमाचल प्रदेश : डाडासीबा में लगा स्‍वास्‍थ्‍य शिविर जिसमें 502 मरीजों की आंखों की हुई निशुल्‍क जांच।

हिमाचल प्रदेश : डाडासीबा में लगा स्‍वास्‍थ्‍य शिविर जिसमें 502 मरीजों की आंखों की हुई निशुल्‍क जांच।


हिमाचल प्रदेश। डाडासीबा में कैप्टन संजय पराशर द्वारा डाडासीबा में 43वें मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया। इस अवसर पर स्थानीय वासियों ने संजय को लड्डुओं से तोला और उनके समर्थन में जिंदाबाद के नारे भी लगाए। पराशर ने क्षेत्रवासियों के सहयोग व समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। 

वहीं स्वास्थ्य शिविर में 824 लाभार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कैंप में आयोजकों ने काेरोना नियमों का सख्ती से पालन करवाया। आंखों व कानों की जांच के अलावा फ्री में ईसीजी, शुगर व बीपी के टेस्ट भी किए गए। संजय द्वारा अब अगले मेडिकल कैंप 19 मार्च को गुरनबाड़ और 22 मार्च को अलोह में लगाए जाएंगे।

वहीं डाडासीबा के स्वास्थ्य शिविर में 502 मरीजों की आंखों की जांच की गई तो शिविर में 169 ने कानों का चेकअप करवाया। 302 मरीजों को निशुल्क चश्मे वितरित किए गए। 356 मरीजों को आई ड्राप्स दिए गए। जबकि आंख चेक करने वाले चिकित्सा विशेषज्ञों ने 128 मरीजों को मोतियाबिंद का आपरेशन करवाने की सलाह दी।

वहीं इन मरीजों के मोतियाबिंद के निशुल्क आपरेशन कांगड़ा के निजी अस्पताल में होंगे। शिविर में 98 मरीजों को कानों की मशीनें फ्री में वितरित की गईं तो 116 मरीजों को कानों की दवाई भी दी गई। इसके साथ ही कैंप में पहुंची 142 महिलाओं निशुल्क सैनेटरी पैड भी वितरित किए गए। 

वहीं 208 मरीजों के शुगर, बीपी और इसीजी के टेस्ट भी किए गए। इसके अलावा शिविर में 102 परिवारों के हिमकेयर कार्ड बनाने के लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की गईं। कैंप में पहुंचे संजय पराशर ने कहा कि जसवां-परागपुर को मोतियाबिंद मुक्त करना उनका लक्ष्य भी था और संकल्प भी, लेकिन स्थानीय वासियों के आशीवार्द के कारण ही आज 43 मेडीकल कैंपों का आयोजन सफलतापूर्वक हो सका है। 

वहीं जसवां-परागपुर की प्रबुद्ध जनता के साथ के बिना इतने बड़े आयोजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। क्षेत्रवासियों ने हर मेडिकल कैंप में उनका तन-मन-धन से साथ दिया और यही कारण रहा है कि क्षेत्र की हर पंचायत में तीस अप्रैल तक स्वास्थ्य शिविर लग चुके होंगे। पराशर ने कहा कि जब किसी की आंखों की अनमोल रोशनी वापिस आती है।

वहीं किसी बुजुर्ग को पहले की तरह सुनाई देने लगता है तो उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है। वह भगवान का भी धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि उन्हें परमात्मा ने सेवा करने का मौका दिया है। पराशर ने कहा कि वह जीवन की अंतिम सांस तक जसवां-परागपुर क्षेत्रवासियों के हितों के लिए अपने संसाधनों का उपयोग करते रहेंगे।