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बिहार : किशनगंज में बदल दी जा रही जातियां, वहीं फंस रहा जन वितरण प्रणाली का मामला।
बिहार। किशनगंज दिघलबैंक प्रखंड अंतर्गत जाति प्रमाण पत्र का खेल चल रहा है। इस खेल में कौन अंचलाधिकारी सही है और कौन गलत इसका निर्णय कौन करेगा। यह बहुत बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। इसमें वर्तमान सीआई की अहम भूमिका नजर आ रही है। इसका मुख्य कारण है कि अंचलाधिकारी का तो समय के अनुसार तबादला हो जाता है, लेकिन स्थायी रूप से यहां सीआई मौजूद रहते हैं। जिसके रिपोर्ट के आधार पर जाति प्रमाण पत्र अंचलाधिकारी के द्वारा निर्गत किया जाता है। इसी पेंच में आज एक मामला फंसता जा रहा है।
वहीं आवेदनकर्ता संतोष कुमार बातर पिता बद्री बातर अनुसूचित जाति से आते हैं। उसका पुश्तैनी जाति प्रमाण पत्र उनके पास मौजूद है। जो अंचल कार्यालय से ही निर्गत किया गया है। इसी आधार पर संतोष कुमार बातर ने आरक्षित सीट सतकौआ पंचायत से जन वितरण प्रणाली के डीलर के रूप में अपना आवेदन डाला था। उन्होंने अपना जाती अनुसूचित जाति महादलित बताकर आवेदन किया था। परंतु उसके आवेदन को रद्द करते हुए अभ्यर्थी विनोद कुमार दास पिता प्रसन्न दास भैरभरी निवासी को कम प्राप्तांक वाले अभ्यर्थी का चयन कर दिया गया।
वहीं संतोष कुमार ने कहा कि वो अनुसूचित जाति की कोटि में आते हैं। उसका प्राप्तांक 56,4 है एवं काउंसलिंग के बाद उन्हें अंचल कार्यालय के सीआई सहित सीओ ने उनके आवेदन में जाति प्रमाण पत्र को रद करते हुए उन्हें ईबीसी कोटा कर दिया। इस कारण उनका आवेदन रद हो गया और उनके स्थान पर विनोद कुमार दास का चयन कर लिया गया। हालांकि इस बाबत इन्होंने इसकी शिकायत माननीय मुख्यमंत्री सहित जिलाधिकारी किशनगंज, अनुमंडल अधिकारी किशनगंज सहित प्रखंड विकास पदाधिकारी दिघलबैंक, प्रखंड अंचल पदाधिकारी दिघलबैंक को सौंपकर न्याय की गुहार लगया है।
वहीं कहना गलत नहीं होगा कि एक ही जाति के लोगों को लाभ लेने के लिए जाति प्रमाण पत्र में दो-दो बार जाति बदल दी जा रही है। एससी जाति से है तो इन्हें ईबीसी कैसे बना दिया गया और अगर ये ईबीसी है तो इन्हें एससी कैसे बना दिया गया। इन दोनों कार्यों में अंचलाधिकारी कार्यालय की अहम भूमिका मानी जा रही है। वहीं इस मामले का न्याय जानने के लिए यहां की ग्रामीण भी उत्सुक हैं जो ऐसे दोषी पदाधिकारी व कर्मी पर कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं।