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यूपी : सोनभद्र में निर्वाचन कार्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में डीएम टीके शिबु पर हुआ कार्रवाई।

यूपी : सोनभद्र में निर्वाचन कार्य में लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में डीएम टीके शिबु पर हुआ कार्रवाई।


सोनभद्र। शासन ने जिलाधिकारी टीके शिबु को निलंबित कर दिया है। उन पर जिले में खनन, जिला खनिज न्यास समिति व अन्य निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार, विधानसभा चुनाव के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में गंभीर लापरवाही बरतने का आरोप है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजकीय पालीटेक्निक कालेज में एक वाहन से पोस्टल बैलेट जाने के दौरान पकड़कर वहां बड़ा हंगामा किया था। 

वहीं सपाइयों ने आरोप लगाया था कि बैलेट पेपर व मुहर अवैध रूप से अंदर ले जाया जा रहा था। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने किसी तरह सपा कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर मामला शांत कराया था। तब डीएम ने घोरावल के तत्कालीन एसडीएम रमेश कुमार को रिटर्निंग अफसर के पद से हटा दिया था।

वहीं इसके अलावा समय-समय पर जनप्रतिनिधि भी इस बात की शिकायत करते रहे कि जिले में बालू व पत्थर का अवैध खनन हो रहा है, लेकिन प्रशासन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा। शासन स्तर पर भी इसकी शिकायत की गई थी। प्रशासन ने खनन क्षेत्रों में बैरियर लगा दिए थे। आरोप यह भी है कि इन बैरियरों से जांच के नाम पर ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही थी। 

वहीं हालांकि बाद में बढ़ते विरोध को देखते हुए डीएम ने इन बैरियरों को हटाने के निर्देश दिए थे। जिले में बालू व पत्थर के अवैध खनन के अलावा जिला खनिज न्यास समिति के धन से कराए जाने वाले कार्यों में भी मनमानी के आरोप लग रहे थे। इस बाबत जिलाधिकारी टीके शिबु ने कोई टिप्‍पणी करने से मना कर दिया।

वहीं जिले में ई-टेंडर वाली पत्थर खदानों के साथ ही काश्तकारी वाली बालू खदानों में डीएम टीके शिबु का सीधा हस्तक्षेप था। इन खदानों से बगैर परमिट के खनन सामग्री का परिवहन किए जाने की अक्सर शिकायतें सामने आती थीं। इसके बावजूद डीएम के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी। उल्टा उधर से निकलने वाले वाहनों की संख्या जानने के लिए तीन बैरियर लगा दिए गए थे।

वहीं इन बैरियरों पर वाहनों के पत्रावलियों की जांच न कर उन्हें बगैर परमिट के ही छोड़ दिया जाता था। इतना ही नहीं लोढ़ी में स्थित टोल प्लाजा के पास लगे खनन बैरियर पर भी बगैर परमिट वाले वाहनों की जांच नहीं की जाती थी। रात में ऐसे वाहनों को निकाल दिया जाता था।