बरेली। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा को सभी नौ सीटें जिताने वाले जनपद में इस बार थोड़ी कसर नहीं मगर, प्रदेश सरकार ने हाथ नहीं खींचे। पिछली बार की तरह, इस बार भी मंत्रिमंडल गठन दो मंत्री बनाए दिए। दो सीटों के नुकसान पर अंतर सिर्फ इतना पड़ा कि पूर्व में धर्मपाल सिंह व राजेश अग्रवाल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। इस बार धर्मपाल सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर कद बरकरार रखा गया, डा. अरुण कुमार सक्सेना को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया। दोनों मंत्रियों ने शपथ ग्रहण करने के बाद अपनी प्राथमिकताएं भी गिना दीं।
वहीं देर शाम कैबिनेट मंत्री धर्मपाल सिंह ने जागरण को फोन पर बताया कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कार्य करने का अवसर दिया है। इस भरोसे को पूरा करुंगा। चुनाव में आंवला को जिला बनाने का मुद्दा उठा था, इस पर बोले कि बड़ा लक्ष्य है मगर, मैं इसके लिए तैयार हूं। मंत्रिमंडल में शामिल हूं, इसलिए क्षेत्र की इस जरूरत को सरकार तक जरूर पहुंचाऊंगा।
वहीं क्षेत्र को एक चीनी मिल की जरूरत है, उसके लिए प्रयास होंगे। न्याय पंचायत स्तर पर गोशाला बनवाने का वादा किया था, जिसे पूरा करने के लिए जल्द ही प्रयास शुरू कर दिए जाएंगे। पूरे प्रदेश में काम करना है लेकिन, जिला प्राथमिकता में रहेगा।
वहीं राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शहर विधायक डा. अरुण कुमार सक्सेना ने एम्स जैसी सुविधाओं वाला अस्पताल का वादा दोहराया। कहा कि इस पर वरीयता से काम करेंगे। आइटी पार्क का काम अधूरा पड़ा है, उसे जल्द पूरा कराएंगे ताकि रोजगार के नये अवसर तैयार हों। ऐसे सभी प्रोजेक्ट पर जनता से राय के बाद समय सीमा तय करेंगे।
वहीं वर्ष 2017 के सरकार गठन के समय राजेश अग्रवाल को वित्त मंत्री बनाया गया था। बाद में उनका इस्तीफा हुआ तो बदायूं से महेश चंद्र गुप्ता को नगर विकास राज्यमंत्री बना दिया गया। इस बार वैश्य प्रतिनिधित्व के लिए कैंट विधायक संजीव अग्रवाल के नाम को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं मगर, इनका आधार नहीं बन सका।
वहीं मंडल में किसी भी वैश्य विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। मंडल में तीन सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं। उम्मीद जताई जा रही थी कि इनमें किसी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। फरीदपुर के विधायक प्रो श्याम बिहारी लाल के नाम की चर्चा भी स्थानीय नेताओं तक सीमित रह गई।
वहीं चुनाव के समय भाजपा का बदायूं पर ज्यादा ध्यान था। सभी बड़े नेताओं ने वहां जनसभाएं की। परिणाम आए तो पिछली बार की दो सीटें भी भाजपा के हाथ से चली गई। छह में तीन सीटों पर ही विजय मिली। जिसके बाद मंत्रिमंडल में बदायूं को वरीयता नहीं दी गई। महेश चंद्र गुप्ता को दोबारा मंत्री नहीं बनाया, किसी अन्य विधायक के नाम पर भी विचार नहीं किया गया।