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यूपी : प्रलयकारी बाढ़ से चंदौली के माटीगांव के कुषाण कालीन बस्ती का हुआ था विनाश।

यूपी : प्रलयकारी बाढ़ से चंदौली के माटीगांव के कुषाण कालीन बस्ती का हुआ था विनाश।


चंदौली। माटीगांव स्थित भाण्डेश्वर मांदिर परिसर में हुए उत्खनन के दौरान लगभग 80 सेंटीमीटर की खुदाई से एक ऐसा स्तर प्राप्त हुआ है जो कि बाढ़ से प्रभावित प्रतीत होता है। इस स्तर से कुषाणकालीन फर्श में इस्तेमाल होने वाले वृहद आकार के ईंटों के कुछ खंड (टुकड़े) प्राप्त हुए हैं। इनका परिमाप लगभग 50×40×12 सेंटीमीटर है। इस स्तर से सफेद कंकड़ ,घोंघे अथवा सीप के अवशेष, ईंटों के खंडित टुकड़े व लाल मृदभाांडों के टुकड़े भी प्राप्त हुए हैं। इस स्तर की मिट्टी पीली बलुई दोमट है।

वहीं उपरोक्त साक्ष्य से ऐसा प्रतीत होता है कि कुषाण काल के दौरान यहां भीषण प्रलयकारी बाढ़ आई होगी जिसने कुषाण काल के जनमानस को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया होगा। पूर्व में हुए उत्खनन के दौरान भी इस तरह के प्रमाण गुप्तकाल के संरचनाओं के तुरंत ही नीचे मिलने प्रारंभ हो जाते हैं। पूर्व में हुए उत्खनन के दौरान एक ऐसे स्तर की प्राप्ति लगभग 150-200 सेमी नीचे जाने पर हुआ।

वहीं जिसमें ताम्रपाषानिक मृदभांडों के टुकड़ों के साथ ही साथ उत्तरी काली चमकीली मृदभांडों के टुकड़े सम्मलित अवस्था में मिले हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आज भी टीला संख्या 2 जिसे भाांडेश्वर महादेव मंदिर का टीला कहते हैं के पश्चिम की तरफ लगभग 100 मीटर के क्षेत्रफल में खुदाई के दौरान ईटों के बड़े-बड़े टुकड़े प्राप्त होते हैं। 

वहीं इससे यह कहा जा सकता है कि कुषाण काल अथवा उसके बाद के समय में गुप्तकाल से पहले एक भयंकर प्रलयकारी बाढ़ आयी होगी जिसकी वजह से माटीगांव में कुषाण काल बस्तियों का अंत हुआ होगा।