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यूपी : बलिया में दो एकड़ खेत की फसल फिर काट ले गए बिहार के किसान।

यूपी : बलिया में दो एकड़ खेत की फसल फिर काट ले गए बिहार के किसान।


बलिया। उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमा विवाद का हल आज तक नहीं निकलने के कारण एक बार फिर नौरंगा और हांसनगर दियारा में यूपी और बिहार के किसानों के बीच टकराव शुरू हो गया है। बाबू बेल दियारा में एक सप्ताह पूर्व बिहार के किसान यूपी के किसानों के द्वारा बोआई किए गए तीन बीघा मसूर का फसल काट ले गए थे। यह मामला अभी चल ही रहा था, तब तक सोमवार को फिर बिहार के किसान दो एकड़ में लगी मसूर की फसल गायघाट मौजे से जबरिया कटवा लिए।

वहीं हल्दी पुलिस ने बाबू बेल दियारा में खेतों से फसल काटते समय चार लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन गायघाट मौजा बिहार के बक्सर में पड़ने के कारण यहां की पुलिस प्रदेश के किसानों की कोई भी मदद नहीं कर रही है। गायघाट मौजा 785 एकड़ में फैला है। 532 एकड़ भूमि बिहार के बक्सर जनपद में है। इस भूमि का प्रकरण पटना हाईकोर्ट से लेकर अब बिहार के मुख्य सचिव तक पहुंच चुका है। इसके बाद भी विवाद का निपटारा नहीं होने से टकराव खत्म नहीं हो पा रहा है। जिले के बड़े अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साध रखे हैं।

वहीं मामले को लेकर क्षेत्र के किसान बक्सर में कमिश्नर के यहां भी पांच दिन पहले पहुंचे थे। बिहार के सह प्रभारी राजस्व निरीक्षक राजू रंजन द्वारा उक्त मौजे का मौके पर स्थलीय निरीक्षण भी किया गया। कागजात सहित क्षेत्र के किसान उपस्थित थे। बिहार के किसान इस क्षेत्र के किसानों की फसल को लगातार काटते जा रहे हैं।

वहीं गायघाट के किसान दीन दयाल सिंह, प्रेम शंकर सिंह, अमित कुमार, हीरा सिंह आदि का कहना है कि सारे कागजात हमारे पक्ष में होने के बावजूद बिहार के अधिकारियों द्वारा हमारी सुनवाई के बदले उपेक्षा की जा रही है। इसमें हमारे क्षेत्र के अधिकारी भी मामले को लगातार टाल रहे हैं।

वहीं उत्तर प्रदेश व बिहार सीमा का यह विवाद सात दशकों से चला आ रहा है। हर साल बोआई और कटाई के समय बंदूकें भी गरजतीं हैं। गोलीबारी के बीच हांसनगर के किसान विजय शंकर राय की मौत गोली लगने से हो गई थी। नैनिजोर के किसान भी घायल हुए थे। हासनगर दियारा 4200 एकड़ में फैला हुआ है। विवाद एक हजार एकड़ में है।

वहीं क्षेत्र के दुबहर, भडसर, ओझा बलिया, अगरौली, रेपुरा, सुजानीपुर, उदवत छपरा, बघौच, पोखरा, बाबू बेल, बंधु चौक, चौबे बेल, बादिलपुर, बगही, रुद्रपुर, गायघाट, डांगर बाद, शुक्ल छपरा, गरया, धर्मपुरा, पचरुखिया, नारायणपुर, दुबे छपरा, मीनापुर, दुर्जनपुर, हुकुम छपरा, रिकनी छपरा, चौबे छपरा, उद ईछपरा, उदई छपरा के डेरा, जवहीं दीयर, नौरंगा, भुवाल छपरा गांवों के हजारों किसान इस विवाद में लंबे समय से पीस रहे हैं। इसके बाद भी जिला प्रशासन या जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई उच्च स्तरीय पहल नहीं की गई।