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यूपी : वाराणसी में होली पर धू-धू कर जली होलिका, वहीं बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक छाया रंगों के त्योहार की मस्ती।
वाराणसी। भोले शंकर की नगरी काशी में उनके मिजाज से मेल खाते पर्व होली की रंगत एक दिन पहले ही घर से लेकर बाजार तक निखर आई। बच्चे हों, युवा या बुजुर्ग सभी का तन-मन उत्साह, उल्लास और आह्लाद से सराबोर नजर आया। भद्रा के कारण होलिका तो रात 12.57 बजे के बाद जलाई, लेकिन लकडिय़ों व कंडों के ढेर में गिले-शिकवे भी झोंक दिए और इन्हें भूल हर एक पर प्रेम, भाईचारा व सौहार्द का रंग छाया।
वहीं हालांकि काशी में होली हुड़दंग तो रंगभरी एकादशी पर बाबा श्री काशी विश्वनाथ के भाल पहला गुलाल मल कर अनुमतिनामा के साथ शुरू हो जाती है, लेकिन होलिकोत्सव पर इसका रंग चटख नजर आया। वसंत पंचमी पर गाड़ी गई रेड़ सुबह से ही विस्तार पाने लगी।
वहीं गोबर के कंडे और लकडिय़ों का ढेर, प्रतिमा स्थापना के साथ झंडी- पताका से सजाने की होड़ नजर आई। तरह-तरह के चेहरे बना कर, रंग-बिरंगी टोपी पहने युवा अल्हड़ मस्तानों की टोली ने बाइकों पर फर्राटे भरे। बिंदास अंदाज में एक-दूसरे पर पिंगल दागेे, ठहाके लगाए और खिलखिला कर हंसे।
वहीं अंधेरा होने के बाद होली की अल्हड़ मस्ती पूरे नगर में छा गई। बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक इस पर्व पर लोगों का उत्साह देखते बना। जगह-जगह डेक पर गूंजते फिल्मी व होली गीतों या ढोल-नगाड़े की धुन ने भी पर्व की रंगीनियों में छौंका लगाया।
वहीं अब होलिका दहन के दूसरे दिन शुक्रवार को काशी में परंपरानुसार रंगों की होली खेली जाएगी। सुबह से बच्चों व युवाओं की टोली फाग, होरी व जोगीरा... गीतों का गायन करते एक मोहल्ले से दूसरे मोहल्ले में जाएगी। गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे को गले लगाएगी और पर्व की शुभकामना हर एक को दे आएगी। सबसे पहले काशी की परंपरा अनुसार चौसïट्टी देवी मंदिर में दर्शन-पूजन के उपरांत अबीर- गुलाल की होली खेली जाएगी।
वहीं सुबह से ही बाजार गुलजार रहा तो रसोई घरों में खनन-मनन और छनन- छनन शुरू हो गई। गुझिया, मालपुआ समेत पकवानों की सोंधी महक सड़़कों गलियों से गुजरने वालों को भी मानो अग्रिम न्योता दे गई।
वहीं सुबह से रात तक साफ-सफाई का दौर चला। सफाई-धुलाई के साथ ही चादर, पर्दे तक बदल डाले गए। ऐसा अभियान मानो होली पर आने वालों की अगवानी में पूरे घर को ही बदल डालने की तैयारी हो।
वहीं दूसरी ओर घर-परिवार में बच्चों संग बड़े भी होली के रंग में रंगे नजर आए। एक दिन पहले ही बच्चों ने पिचकारी में लाल, पीला, नीला व हरा रंग भरकर घर में ही एक-दूसरे को भिगोया। अन्य लोगों ने परिवार के मुखिया को अबीर का टीका लगाकर उनसे आशीर्वाद ले लिया।