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यूपी : शाहजहांपुर खुदागंज में गधे पर निकलते है लाटसाहब, वहीं पंचमी को खेला जाता हैं रंग।

यूपी : शाहजहांपुर खुदागंज में गधे पर निकलते है लाटसाहब, वहीं पंचमी को खेला जाता हैं रंग।


शाहजहांपुर। खुदागंज होली के रंगों की तरह पर्व को मनाने के भी विविध रंग हैं। शाहजहांपुर की जूतमार होली देश भर में प्रसिद्ध है। इसी जिले के उपनगर खुदागंज की होली तो एकदम अनूठी व निराली है। यहां होली पर कोई भी व्यक्ति रंग नहीं खेलता, लेकिन पांचवे दिन रंग पंचमी महोत्सव में पूरा क्षेत्र रंग से सराबोर हो जाता है। जूतों की माला पहनाकर तथा गधे पर बैठाकर लाटसाहब का जुलूस निकाला जाता है।

वहीं जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर खुदागंज की अमर बलिदानी रोशन सिंह की जन्मभूमि क्षेत्र के रूप में भी पहचान है। यहां से छह किमी दूर नवादा दरोबस्त उनका पैतृक गांव है। पीलीभीत तथा बरेली जनपद की सीमा क्षेत्र के इस उपनगर में होली के दिन कोई भी रंग नहीं खेलता। 

वहीं लेकिन पांचवे दिन सभी जाति धर्म के गले मिलने के साथ रंग गुलाल के साथ होली खेलती है। इसलिए यहां रंग पंचमी का विशेष महत्व है। होली के पांचवे दिन लक्ष्मीनगर मुहल्ला के एक व्यक्ति को लाटसाहब का तमगा देकर गधे पर बैठाया जाता है। गले में जूतों की माला व सिर पर हेलमेट पहना दिया जाता। 

वहीं लक्ष्मीपुर से शुरू जुलूस सबसे पहले कोतवाली पहुंचता है। यहां लाटसाहब (नवाब) के स्वागत के लिए कुर्सी मेज डाली जाती है। कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक लाटसाहब को सलामी देने के साथ ही शराब की बोतल व नकद धनराशि भी सम्मान स्वरूप भेंट करते हैं। 

वहीं लाटसाहब जुलूस की सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद रहती है। प्रशासन की ओर से पुलिस, पीएसी के साथ अर्धसैनिक बल भी सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहता है। जुलूस में लोग हंसी ठिठोली के साथ एक दूसरे के रंग लगाते चलते है। जुलूस लक्ष्मीपुर से पक्का तालाब, जैन मोहल्ला मेन मार्केट, साहूकारा होते हुए गर्रा (देवहा) नदी पर समाप्त होता है।