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यूपी : वाराणसी में भोले बाबा पहनेंगे अहमदाबाद की खादी, वहीं गौरा तन सजेगा बरसाने का घाघरा।

यूपी : वाराणसी में भोले बाबा पहनेंगे अहमदाबाद की खादी, वहीं गौरा तन सजेगा बरसाने का घाघरा।


वाराणसी। देवाधिदेव महादेव बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ रंगभरी एकादशी पर एक बार फिर दूल्हा बनेंगे। मंगल गीतों के बीच डोली सजेगी और गौरा का गवना लाने जाएंगे। इस खास मौके पर उनके तन अहमदाबाद से आई खादी के परिधान सजेंगे तो गौरा बरसाने से आया घाघरा पहन इठलाएंगी। रंगभरी एकादशी 14 मार्च को पड़ रही है, लेकिन शिव- पार्वती गवना महोत्सव के लोकाचार महंत आवास पर 11 मार्च से ही शुरू हो जाएंगे।

वहीं धर्म शास्त्रीय मान्यता है कि बाबा का तिलक वसंत पंचमी पर चढ़ाया गया था। महाशिवरात्रि पर विवाह हुआ और फागुन शुक्ल एकादशी पर गौरा का गवना करा कर अपने धाम लाए। काशी में विश्वनाथ मंदिर महंत परिवार इसे परंपरानुसार उत्सव की तरह मनाता है। पूर्व में एक दिवसीय हुआ करता उत्सव अब चार दिन तक विस्तार पा चुका है। इसकी तैयारी टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैैं।

वहीं दूसरी तरफ़ बाबा के लिए अहमदाबाद के एक भक्त की ओर से खादी का कपड़ा महंत डा. कुलपति तिवारी को भेंट किया गया है। परिवार की परंपरा अनुसार चौक क्षेत्र के दर्जी किशनलाल इसकी सिलाई कर रहे हैैं। साथ ही गयासुद्दीन का परिवार शाही पगड़ी को अकार देने में जुट गया है।

वहीं रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ व माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा निकाली जाती है। इसके लिए रजत पालकी की मरम्मत की जा रही है। चांदी चमकाई जा रही है। इसके लिए सुनारों का दल लगा दिया गया है। बाबा व माता पार्वती के राजसी स्वरूप में श्रृंगार व पूजन परंपरा के सामान सूचीबद्ध किए जा रहे हैैं।

वहीं दूसरी तरफ़ महंत डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि शुक्रवार को माता गौरा की प्रतिमा के पूजन के बाद गौना की हल्दी लगाई जाएगी। उत्सव में शिवांजलि के तहत स्थानीय कलाकारों द्वारा भक्ति संगीत प्रस्तुत किए जाएंगे।