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यूपी : वाराणसी में संपूर्ण उपचार के लिए समेकित हुआ प्रणाली, वहीं कोरोना के बाद सभी चिकित्सकों को अपनानी होगी ऐसी प्रणाली।
वाराणसी। कोरोना के बाद रोग व उपचार दोनों ही टेंड में बड़ा बदलाव आया है। ऐसे में अब समेकित चिकित्सा प्रणाली की जरूरत आन पड़ी है। अगर पूरी गुणवत्ता के साथ ही इसे अपनाया जाता तो रोग का संपूर्ण उपचार किया जा सकता है। खासकर आइसीयू में आने वाले मरीजों का सभी प्रमुख विभागों के चिकित्सकों की टीम जब उपचार में जुटेगी तो हर मोर्च पर रोग पर वार करेगी। यह कहना है पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, रोहतक के आइसीयू इंजार्च व नैपकान के चेयर प्रो. ध्रुव चौधरी का।
वहीं प्रो. चौधरी ने ये जानकारी इंडियन चेस्ट सोसायटी, नेशनल कालेज आफ चेस्ट फिजिशियन की ओर से छावनी स्थित एक होटल में आयोजित नैपकान कार्यक्रम से इतर दैनिक जागरण से बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि पहले कारपोरेट अस्पतालों में ही आइसीयू का अधिक कंसेप्ट था, लेकिन कोरोना के कारण अब सभी अस्पतालों में इसकी जरूरत महसूस हुई है। हालांकि सरकार भी इसे लेकर काफी गंभीर है।
वहीं अबकी बजट में भी क्रिटिकल यूनिट का प्रावधान किया गया है। प्रो. ध्रुव ने कहा कि ट्रामा, सर्प दंश, जहर आदि मामलों में अगर समय से आइसीयू में उपचार किया जाए तो काफी हदतक मरीजों की जान बचाई जा सकी है। इसके लिए ये भी जरूरी है होगा कि हृदय, फेफड़ा, किडनी, लिवर आदि रोग के विशेषज्ञों टीम लगी रही। कारण कि इन परिस्थतियों में शरीर के तमाम अंग फेल्योर होने की आशंका बढ़ जाती है।
वहीं ऐसे अगर विषय विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे तो तत्काल स्थिति पर काबू कर लेंगे। इसी के लिए नैपकान का आयोजन हो रहा है। इसमें नवोदित चिकित्सकों को आइसीयू संचालन व अन्य चिकित्सा पद्धति में स्किल्ड किया जा रहा है। ताकि देश में केयर यूनिट के लिए पर्याप्त मानव संशाधन तैयार किया जा सके।
वहीं नेशनल कांफ्रेंस आन पल्मोनरी डिजीज (नैपकान-2021) का आगाज गुरुवार को शहर के विभिन्न सभागारों में हुआ। इस कांफ्रेंस का औपराचिक उद्घााटन देरशाम बड़ा लालपुर स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में किया गया।
वहीं इससे पहले छावनी स्थित एक होटल में मैनेजमेंट आफ एक्चुअल एंड क्रोनिक वेंटिलेटरी फैशिलिटी विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। इसमें विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को वेंटिलेटर संचालन के साथ ही अन्य जीवन रक्षण प्रणाली के बारे में जानकारी दी।
वहीं एम्स नई दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर एंड हेड डा. जीसी खिलनानी, पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय- रोहतक के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. ध्रुव चौधरी, केजीएमयू- लखनऊ स्थित पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग प्रोफेसर एंड हेड डा. वेद प्रकाश की ओर से प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।
वहीं कार्यशाला में प्रतिभागियों को चेस्ट, वेंटिलेटर, स्लिप मेडिसिन, ब्रोकोस्कोपी, आदि की जानकारी दी गई। इस दौरान जूनियर डाक्टरों ने कई सवाल भी किए। विशेषज्ञों ने जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न संस्थानों के डाक्टरों ने भाग लिया। एक से तीन अप्रैल तक विभिन्न तकनीकी सत्रों के आयोजन बड़ा लालपुर में होंगे।