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यूपी : वाराणसी से बंगाली मतदाताओं को ममता ने साधा, गठबंधन के पक्ष में बंगाली मतदाताओं पर नजर
वाराणसी । उत्तर प्रदेश विधानसभा के आज अंतिम चरण चुनाव प्रचार प्रसार में शमिल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दो मार्च की शाम से ही सपा गठबंधन के पक्ष के लिए पहुंच चुकी हैं। पूर्व में सिर्फ तीन मार्च की जनसभा तक ममता बनर्जी का वाराणसी दौरा सीमित था लेकिन अब ममता बनर्जी शुक्रवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ रोड शो में भी शामिल हो रही हैं। दरअसल ममता बनर्जी का वाराणसी दौरा यहां के बंगीय समाज के बहुतायत संख्या में होने की वजह से है। बिहार और बंगाल से आकर वाराणसी में बसे लोगों के होने के साथ ही बंगीय बुद्धिजीवियों की निर्णायक सियासी भूमिका भी किसी से छिपी नहीं है।
बाहर से आकर बसे लोगों में सर्वाधिक बंगीय समाज के लोगों की होने के साथ ही उनकी वाराणसी में भूमिका काफी महत्वपूर्ण होने और उसे गठबंधन के पक्ष में करने के लिए भी ममता बनर्जी की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। खेला होबे और खदेड़ा होबे जैसे पश्चिम बंगाल के बांग्ला के चुनावी नारों ने वाराणसी में भी दस्तक दी है। इस लिहाज से इन नारों के जरिए बंगीय समाज के मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश साफ नजर आ रहा है। ममता के भाषण में इन नारों के समर्थन में जनता ने भी सभा के दौरान दोहरा कर बंगीय समाज को साथ लेने की कोशिश साफ झलकी है।
बंगाली टोला, भदैनी, विश्वनाथ क्षेत्र, अस्सी और लंका सहित पुराने काशी क्षेत्र में बंगीय समाज के अधिक लोग रहते हैं। कुछ तो कई पीढ़ी से यहां हैं और कुछ बीते दो दशकों में आकर यहां बसे और यहीं के होकर रह गए। पुरनिए बंगीय समाज से जुड़े लोग बंगाल की दुर्गा पूजा, सिंदूर खेला, बंगीय नववर्ष आदि की परंपरा भी लेकर आए और यहां की संस्कृति में रच बस गए। बंगीय समाज के युवा भी अब पश्चिम बंगाल की सियासत से करीब से जुड़े हुए हैं।