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यूपी : मुजफ्फरनगर ने प्लास्टिक, रबर जलाने व नाले में दूषित पानी डालने से जहरीला हुआ वातावरण।

यूपी : मुजफ्फरनगर ने प्लास्टिक, रबर जलाने व नाले में दूषित पानी डालने से जहरीला हुआ वातावरण।


मुजफ्फरनगर। सरकार के आदेशानुसार जिले में प्रदूषण घटाने के लिए चल रहे प्रयास के बीच सिखेड़ा क्षेत्र में प्रदूषण कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे कोल्हुओं में जल रहा प्रतिबंधित प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ने का कारण बन रहा है। 

वहीं सिखेड़ा क्षेत्र के भंडूरा गांव में चल रहे कोल्हू की भट्ठियों में पेपर मिलों के बायलर से रीसाइकिल होकर निकलने वाली पन्नी के स्क्रैप, प्लास्टिक और रबर के जूते-चप्पल जलाए जा रहे हैं। इनकी चिमनियों से निकलने वाले जहरीले धुएं से क्षेत्रवासी गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।

वहीं सिखेड़ा थाना क्षेत्र के निराना गांव और जौली रोड पर औद्योगिक इकाइयां प्रदूषित धुआं उगल रही हैं। साथ ही ये इकाइयां रात में ही अपने यहां से प्रदूषित और रासायनिक पानी को निराना क्षेत्र से गुजर रहे नाले में डाल देती हैं, जिससे क्षेत्र के हैंडपंप और खेतों के ट्यूबवेल का पानी भी विषैला होता जा रहा है। 

वहीं औद्योगिक इकाइयां मोटा मुनाफा कमाकर क्षेत्रवासियों को जहरीली हवा व जहरीला पानी परोस रही हैं। कोल्हू की भट्ठियों में भी प्लास्टिक का कचरा जलाकर जहरीली हवा परोसी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से बहने वाले नाले में भी औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला रासायनिक दूषित पानी बह रहा है। इन औद्योगिक इकाइयों से जहरीला धुआं भी निकल रहा है। 

वहीं औद्योगिक इकाइयों में प्लास्टिक व रबर जलाने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को दुर्गध ही नहीं, बल्कि अनेक गंभीर बीमारियों का भी सामना करना पड़ता है। शिकायत के बाद भी प्रदूषण विभाग कार्यवाही करने के लिए आगे नहीं आ रहा है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा निराना, जौली रोड व भंडूरा क्षेत्र में धड़ल्ले से प्रतिबंधित पन्नी व रबर के जूते-चप्पलों को भट्ठियों में झोंक कर वातावरण को दूषित किया जा रहा है।

वहीं टायरों से तेल निकालने वाली फैक्ट्रियां भी संचालित क्षेत्र में चल रही टायर से तेल निकालने वाली इकाइयां भी काफी फल-फूल रही हैं। ये फैक्ट्रियां क्षेत्र में रह रहे ग्रामीणों को टायर की दुर्गध तो परोस ही रही हैं साथ ही इनकी चिमनियों से निकलने वाला प्रदूषित धुआं भी क्षेत्र में प्रदूषण फैला रहा है। साथ ही इन फैक्ट्रियों से निकलने वाली काली राख क्षेत्र की फसलों को भी बर्बाद कर रही है। जहां एक ओर सरकार किसान को हर संभव सुविधा देने में लगी हुई है वहीं पर इस तरह की इकाइयां किसानों की फसल बर्बाद करने पर तुली हुई हैं। इनका कहना है। 

बता दें कि वहीं अंकित सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण बोर्ड ने बताया कि औद्योगिक इकाइयों और कोल्हू में रबर व प्लास्टिक जलाना तथा नाले में प्रदूषित व रासायनिक पानी छोड़ना प्रतिबंधित है। यदि जांच में प्रतिबंधित कचरा जलता हुआ मिलता है अथवा नाले में कोई भी औद्योगिक इकाई प्रदूषित पानी छोड़ते हुए पाई जाती है तो तत्काल उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। उससे क्षतिपूर्ति भी वसूल की जाएगी। इसके लिए समय-समय पर टीमें काम करती रहती हैं।

वहीं दूसरी तरफ़ मुज्जारमीन अयूब, गांव प्रधान, निराना ने बताया कि मैंने कई फैक्ट्रियों के प्रदूषण फैलाने व नाले में प्रदूषित जल छोड़ने की शिकायत उच्चाधिकारियों से की है। अभी तक उन पर ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।