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यूपी : वाराणसी में बने पश्‍मीना के उत्‍पाद इसी सप्‍ताह होंगे लांच, वहीं कश्‍मीर के बाद यह कला पहली बार पहुंची उत्‍तर प्रदेश।

यूपी : वाराणसी में बने पश्‍मीना के उत्‍पाद इसी सप्‍ताह होंगे लांच, वहीं कश्‍मीर के बाद यह कला पहली बार पहुंची उत्‍तर प्रदेश।

                           Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। काशी के बुनकर अब स्‍थानीय तौर पर पश्‍मीना ऊन से निर्मित उत्‍पाद स्‍थानीय स्‍तर पर तैयार कर ग्‍लोबल प्रोडक्‍ट का निर्माण कर रहे हैं। इस सप्‍ताह के आखिर तक बनारस में निर्मित पश्‍मीना उत्‍पाद पीएम नरेन्‍द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में इस सप्‍ताह के आखिर तक लांच कर दिए जाएंगे। इसके साथ ही पश्‍मीना के उत्‍पादों में पूर्वांचल के वाराणसी और गाजीपुर का नाम पहली बार दर्ज हो जाएगा। 

वहीं वाराणसी में पश्‍मीना उत्‍पादाें को लेकर खादी ग्रामोद्योग की ओर से वाराणसी और गाजीपुर के किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। इसके बाद यहां के बुनकरों को पश्‍मीना ऊन भी उपलब्‍ध कराया गया है। बुनकरों को ऊन के यह धागे लदाख से लाकर उपलब्‍ध कराए गए हैं। 

वहीं केवीआइसी यानी खादी ग्रामोद्योग संस्‍था के चेयरमैन विनय कुमार सक्‍सेना के अनुसार यह पहला मौका है जब हेरिटेज क्राफ्ट जम्‍मू कश्‍मीर से आकर पूर्वांचल में बुनकरों की स्किल को विकसित कर उत्‍पादों को बेहतर मौका देने का प्रयास किया जा रहा है। 

वहीं दूसरी तरफ़ वाराणसी में इसके लिए तीस दिनों तक सेवापुरी आश्रम में बुनकरों को प्रशिक्षण भी दिया गया है। खादी संस्‍थानों से लेह से धागे निर्मित होने के बाद प्रोसेज होकर वाराणसी भेजा गया है। यह पूरा कार्य खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन के लदाख के उपराज्‍यपाल आरके माथुर से मुलाकात के बाद बीते वर्ष मुलाकात के बाद अब धरातल पा रहा है। 

वहीं उपराज्‍यपाल की पहल पर 50 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष पश्‍मीना ऊन का उत्‍पादन होने की जानकारी दी गई थी। इसमें कुल 500 किलोग्राम पश्‍मीना के धागों को निर्माण और प्रोसेज के लिए नई दिल्‍ली से वाराणसी भेजने की तैयारी की गई थी। 

वहीं अब खादी बोर्ड के चेयरमैन की पहल पर पश्‍मीना के इन उत्‍पादों को आनलाइन प्‍लेटफार्मों पर बेचने की सहूलियत भी बुनकरों को दी जाएगी। वहीं तैयारियों के लिए खादी बोर्ड की ओर से प्रशिक्षण के उपरांत लेह के धागा बनाने वालों को उपकरण भी उपलब्‍ध कराए गए हैं। 

वहीं लेह में 25 उच्‍च गुणवत्‍ता वाले लूम भी स्‍थापित कराए गए हैं जहां से कम मेहनत के साथ सभी अपेक्षित प्रकार के फैब्रिक का निर्माण करना संभव हो सकेगा। वहीं और भी चरखा कारीगरों को उत्‍पादन बढ़ाने के लिए जल्‍द ही उपलब्‍ध कराया जाएगा।