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यूपी : हाथरस शहर से गांव तक मच्‍छरों का आतंक से लोग हुए परेशान, वहीं स्‍वास्‍थ्‍य महकमा बना अनजान।

यूपी : हाथरस शहर से गांव तक मच्‍छरों का आतंक से लोग हुए परेशान, वहीं स्‍वास्‍थ्‍य महकमा बना अनजान।


हाथरस। मच्‍छरों ने लोगों की नींद हराम कर रखी है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक मच्‍छरों को मारने के लिए कोई इंतजाम शुरू नहीं किया। शहर से लेकर गांव तक परेशान लोग अपने खर्च से ही मच्‍छरों मारकर चैन की नींद सोने की कोशिश कर रहे है।

वहीं हर साल मौसम बदलते ही मच्‍छरों का प्रकोप शुरू हो जाता है। इन्हीं मच्‍छरों की वजह से जानलेवा डेंगू और मलेरिया तक फैल जाते हैं। हर साल कई लोग इसके शिकार भी हो जाते हैं। स्वास्थ्य में संचारी रोग समाप्त करने के लिए अभियान चलाया जाता है। इसमें लोगों को जागरूक भी किया जाता है लेकिन यह अभियान सिर्फ फाइलों तक सिमट कर रह जाता है। इस बार भी शायद यही हो रहा है।

वहीं शहर, कस्बों और देहात में जलभराव एक बड़ी समस्या है। सभी जगह पक्के नाला-नालियां न होने से गंदा पानी भरा रहता है। कुछ स्थानों पर गड्ढे भी होते हैं। यहां पर पानी भरा होने से मछर पनपते हैं। इसकी मूल वजह यह है कि गंदे पानी निकासी के न तो शहरों में पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में।

वहीं अभी तक नहीं छिड़कवा रहे मछरमार दवा मार्च महीना समाप्त होने जा रहा है। मच्‍छरों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में शहर से लेकर गांव तक म'छरों के हमले से लोगों की रात की नींद हराम हो रही है।

वहीं मछरों को मारने के लिए लोग मछरदानी के अलावा क्वाइल, लोशन के अलावा लिक्विड म'छरमार दवा और अन्य तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं। क्वाइल और लिक्विड मच्‍छरमार दवाएं जहरीले रसायनों से तैयार होती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सांस के जरिए ये जहरीले रसायन हमारे शरीर के अंदर नुकसान पहुंचा रहे हैं।

बता दें कि वहीं डा. अनिल सागर वशिष्ठ, सीएमओ ने बताया कि मच्‍छरों का प्रकोप रोकने के लिए नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है। रोस्टर के हिसाब से दवाओं का छिड़काव विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। अभियान के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाता है कि वे आसपास पानी न जमा होने दें।