Headlines
Loading...
यूपी : वाराणसी में सीवर लाइन के लिए पुलिस लाइन चौराहे से एलटी कालेज तक खोदी गई रोड।

यूपी : वाराणसी में सीवर लाइन के लिए पुलिस लाइन चौराहे से एलटी कालेज तक खोदी गई रोड।


वाराणसी। विकास कार्य के बाद रोड कटिंग की भरपाई में कार्यदायी कंपनियां इस कदर लापरवाही कर रही हैं जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। पुलिस लाइन चौराहे से अर्दली बाजार स्थित एलटी कालेज की सड़क की बात सिर्फ बानगी के लिए किया जा रहा है क्योंकि ऐसा दंश एक दशक से शहरवासी झेल रहे हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि सड़क नाव की तरह हो गई है और उस पर से गुजर रहे वाहन पतवार की तरह फिसल कर अनियंत्रित हो रहे हैं। ई-रिक्शा तो आए दिन पटल रहा है।

वहीं जल निगम ने कुछ दिनों पूर्व पुलिस लाइन चौराहे से एलटी कालेज तक रोड कटिंग की थी। वरुणापार इलाके में बनी नई सीवर लाइन से अर्दली बाजार से गुजरी पुरानी लाइन को जोडऩे की कवायद हुई थी। कार्य लेटलतीफी का शिकार तो हुआ ही, अनियमितता ने भी साथ नहीं छोड़ा। जल निगम के अधीन कार्य करने वाले ठेकेदारों ने मनमाना किया। 

वहीं खोदी सड़क को पाटने में मानकों का अनुपालन नहीं किया। परिणाम, सड़क एक फीट से ज्यादा धंस गई है। जल निगम के परियोजना प्रबंधक एसके रंजन कहते हैं कि भारी वाहनों के गुजरने से सड़क धंसी है जिसे जल्द दुरुस्त किया जाएगा।

वहीं सीवर लाइन कार्य के बाद पाटी गई सड़क आए दिन धंस रही है। कभी पांडेयपुर तो कभी पहडिय़ा, आशापुर, हवेलिया, सारनाथ, शिवपुर, कचहरी आदि क्षेत्र में देखने को मिल जाता है। इस बाबत कार्यदायी कंपनी एलएंडटी के अफसरों से बात की गई तो उनका कहना था कि जेएनएनयूआरएम जवाहर लाल नेहरू अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत सीवर लाइन का जो प्रोजेक्ट बना था उसमें नेचुरल तरीके से ही खोदी सड़कों की फिलिंग करने का प्रविधान था।

वहीं दूसरी तरफ खोदी सड़कों को पाटने के लिए बाबतपुर फोरलेन नजीर है। करीब चार वर्ष पूर्व जेपी मेहता के पास भी गहरी सीवर लाइन का कार्य होने से बार-बार सड़क धंस रही थी जिसको लेकर फोरलेन का कार्य कर रही कंपनी की साख दाव पर लगी थी। मामला सरकार तक पहुंच गया था। इसके बाद कंपनी ने पूरी सड़क की खोदाई वहां तक की जहां सीवर लाइन की पाइपें बिछाई गई थीं। 

वहीं पाटने के लिए पहले पाइपों के आसपास ईंट की गिट्यिों का इस्तेमाल किया गया। फिर उसमें गंगा बालू डाला गया। पाइप के ऊपर तक पटाई होने के बाद रोलर से उसे दबाया गया। फिर एक लेयर गिट्टी तो दूसरा लेकर गंगा बालू का बिछाते हुए सड़क को पाटकर समतल किया गया। परिणाम, चार साल में वहां की सड़क एक इंच भी नहीं धंसी।