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यूपी : वाराणसी काशी विश्वेश्वरनाथ मंदिर मस्जिद विवाद मामले में सरकार की तरफ से नहीं आए वरिष्ठ अधिवक्ता।

यूपी : वाराणसी काशी विश्वेश्वरनाथ मंदिर मस्जिद विवाद मामले में सरकार की तरफ से नहीं आए वरिष्ठ अधिवक्ता।

                          Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। काशी विश्वेश्वरनाथ मंदिर मस्जिद विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की अगली सुनवाई अब चार अप्रैल को होगी। समय की कमी के कारण मंगलवार को बहस पूरी नहीं हो सकी। विपक्षियों की तरफ से जवाबी हलफनामे दाखिल किए गए। याची अधिवक्ता ने प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने का समय मांगा। कोर्ट ने समय देते हुए मंदिर परिसर के सर्वे कराने संबंधी अधीनस्थ अदालत के आदेश पर लगी रोक 30 अप्रैल तक बढ़ा दी है।

वहीं यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तीन व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से दायर दो याचिकाओं की एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार के याचिका में पक्षकार होने के बावजूद किसी वरिष्ठ अधिवक्ता के पक्ष रखने के लिए पेश नहीं होने पर नाराजगी जताई। 

वहीं कहा कि राज्य सरकार की तरफ से दो स्थायी अधिवक्ताओं के अलावा कोई सीनियर अधिवक्ता नहीं आया। केंद्र सरकार की तरफ से कोई मौजूद नहीं है। केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से किसी वरिष्ठ अधिवक्ता का नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है। याची के वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकबी ने लिखित बहस दाखिल की। मामले में अगली सुनवाई चार अप्रैल को होगी।

वहीं काशी विश्‍वनाथ मंदिर की तरफ से कहा गया है कि तहखाने व आस-पास लगातार पूजा-अर्चना हो रही है। इसके मद्देनजर अवैध निर्माण हटाकर मंदिर का पुनरुद्धार करने की अनुमति दी जाए और याचिका खारिज की जाए। मामले के अनुसार 18 अक्टूबर, 1991 को स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर बनाम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी सिविल वाद दायर किया गया। 

वहीं इसमें तहखाने के ऊपर निर्माण सहित पुराने मंदिर के हिस्से व नौबत खाने को भगवान विश्वेश्वरनाथ की संपत्ति घोषित करने, हिंदुओं को मंदिर का पुनरुद्धार करने की अनुमति देने तथा मंदिर भूमि पर मुस्लिम समुदाय के कब्जे को अवैध घोषित करने की मांग की गई है। साथ ही अवैध निर्माण हटाकर वादी को कब्जा सौंपकर सेवा, पूजा, राज भोग में हस्तक्षेप पर स्थायी रोक लगाने की मांग की गई है।