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यूपी : वाराणसी में भोजपुरी बोली को डिजिटली समृद्ध करने का मिलेगा सुनहरा मौका, वहीं घर बैठे मिलेगी आर्थिक मदद भी।
वाराणसी। पूर्वांचल सहित बिहार की माटी की बोली भाषा भोजपुरी वैसे तो वैश्विक स्तर पर बोली जाने वाली सबसे बड़ी बोली मानी जाती है। लेकिन, कभी भी इसकी बोली को डिजिटली दस्तावेजों में दर्ज करने का व्यापक स्तर पर प्रयास नहीं हुआ है।
वहीं अवधी में जहां तुलसीकृत रामचरित मानस सबसे बड़ा ग्रंथ है लेकिन भोजपुरी बोली और भाषा को लेकर वैश्विक स्तर पर होने के बाद भी भोजपुरी डिजिटल दुनिया से अलहदा ही रही है। अब वाराणसी सहित तमाम भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में इस बोली को डिजिटल स्वरूप देने के लिए नए सिरे से प्रयास किया गया है।
वहीं दूसरी तरफ़ गोपालगंज, छपरा, सिवान, बलिया, पूर्वी चंपारण और वाराणसी वालों के लिए बेहतर मौका भोजपुरी बोली को समृद्ध करने का है। स्पायर लैब, इंडियन इंस्टिट्यूट आफ साइंस बैंगलुरू और सीएसटीएस नई दिल्ली द्वारा भोजपुरी लिखने और बोलने वालों को कमाई का मौका भी दे रहा है।
वहीं भोजपुरी में वाक्य निर्माण के लिए स्थानीय भोजपुरी बोली की कंप्यूटर पर दस्तावेज की भांति सहेजा जाएगा और इसके बाद आम लोगों के लिए भी डिजिटल दुनिया में भोजपुरी उपलब्ध होगी।
वहीं दूसरी तरफ़ भोजपुरी बोली को समृद्ध करने के लिए इस लिहाज से यह अभिनव प्रयास भी है। विभिन्न संस्थाओं की ओर से इस बाबत पहल शुरू होने के बाद अब भोजपुरी बोलने वालों के लिए इसमें अवसर भी उपलब्ध है। इस लिहाज से 200 वाक्यों को बनाने वालों को हजार रुपये तक पारिश्रमिक भी दिया जाएगा।
वहीं घर बैठे भी भोजपुरी लेखनी से लोग आर्थिक लाभ भी हासिल कर सकते हैं। इस बाबत संस्थाओं की ओर से पोस्टर जारी कर पूरे परियोजना का खाका पेश किया गया है। वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान मॉरीशस के प्रधानमंत्री की ओर से भी भोजपुरी बोली को समृद्ध करने के लिए भी काफी प्रयास किए जाने की जानकारी दी गई थी।
वहीं इस आयोजन के दौरान भी भोजपुरी बोली के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास की जानकारी साझा की गई थी। अब यह जमीन पर संस्थाओं की ओर से उतारने का प्रयास भी शुरू हो चुका है। वहीं इस बाबत वाराणसी की वरिष्ठ लेखिका सुमन सिंह ने भी इस बाबत इंटरनेट मीडिया में पोस्ट कर लिखा है कि भोजपुरी भाषा भाषियों के ध्यानार्थ।कृपया इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोगी हों।