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यूपी : बनारस के नीलांबर भवन में जीवंत हुई गुलाबबाड़ी की परंपरा, वहीं गुलाब के बीच खनके मालिनी के सुर।

यूपी : बनारस के नीलांबर भवन में जीवंत हुई गुलाबबाड़ी की परंपरा, वहीं गुलाब के बीच खनके मालिनी के सुर।

                     Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। पर्व-उत्सवों के रसिया शहर बनारस में शनिवार की शाम महमह गुलाब और गुलाबी रंगत के बीच गुलाबबाड़ी की परंपरा जीवंत हुई। गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार, गुलाब जल की फुहार, रोशनी व परिधान से गुलाबी हुए परिवेश के बीच पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने रंग जमाया। उन्होंने ऋतु अनुसार चैती को सुर लगाया तो ठुमरी, दादरा और होली-फाग से भी रंग जमाया। 

वहीं इस पर हर एक श्रोता झूमता नजर आया। कला प्रकाश व बनारस बीड्स की ओर से रवीन्द्रपुरी कालोनी स्थित नीलांबर भवन में आयोजित समारोह में पद्मविभूषण गिरिजादेवी की शिष्या पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने बनारस संगीत और यहां की रीत से मुग्ध किया।

वहीं उन्होंने राग खंभात में होली होरी खेलत मोसे नंदलाल... से निहाल किया। उड़त अबीर गुलाल लाली छाई है... से होलियाना हुए मन-मिजाज में रंग भरे। होली खेलो री छयल संग रंग घोरी... व बनारस की ठुमरी अलंग की चैती सुगना बोलेला रे हमरी अटरिया हो रामा... से झूमने पर विवश कर दिया। चैती चैत मासे फुलेला गुलाबवा हो राम सारी-सारी रतिया..., रसिया को नार बनाओ री... के साथ ही फाग सुनाकर आह्लादित किया। रसिया सुन कर मन मगन महिलाओं ने नृत्य भी किया। हारमोनियम पर धर्मनाथ मिश्र, तबले पर अतहर हुसैन व सारंगी पर अनीश मिश्र ने साथ दिया।

वहीं दूसरी तरफ़ इससे पहले पं. अशोक पांडेय व सुखदेव मिश्र ने तबला व वायलिन की जुगलबंदी में राग चारु केशी की अवतारणा की। आरनव व अर्नव गुप्ता ने गणेश वंदना की। राग तोड़ी में भी रचना प्रस्तुत की। स्वागत बनारस बीड्स के अध्यक्ष अशोक गुप्ता व धन्यवाद ज्ञापन कला प्रकाश के अध्यक्ष अशोक कपूर ने किया।

वहीं पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि बनारस गुलाबबाड़ी को रच कर मनाता है। जब चैती की लग्गी लगती थी तब ठाटी बनारसी स्व. राजबंधु गुलाब की पंखुड़ियों से भरी डलिया को सुधी दर्शकों पर उड़ेल देते थे। यही बनारस की गुलाबबाड़ी थी। बनारस की नकल करके गुलाबबाड़ी कोलकाता व नई दिल्ली में भी आयोजित की जा रही है लेकिन बनारस का रस उसमें नहीं घुल पाता क्योंकि यहां तो श्रोता भी भीतर- बाहर से गुलाबी रंग में सराबोर हो जाता है।