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यूपी : वाराणसी बीएचयू एक बार फ‍िर बढ़ चला आंदोलन की ओर, वहीं आयुर्वेद जूनियर डॉक्टरों ने बंद की ओपीडी।

यूपी : वाराणसी बीएचयू एक बार फ‍िर बढ़ चला आंदोलन की ओर, वहीं आयुर्वेद जूनियर डॉक्टरों ने बंद की ओपीडी।

                          Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित आयुर्वेद संकाय के जूनियर डॉक्टरों का आंदोलन और तेज हो गया है।आयुर्वेद संकाय में स्नातकोत्तर यानी एमडी एमएस की सीटें बढ़ाने को लेकर यह जूनियर डॉक्टर 4 दिन से आंदोलन कर रहे हैं 3 दिनों तक कुलपति आवास यानी वीसी लाज पर धरना दिए। रात भर जग कर प्रदर्शन किया। बावजूद इसके अधिकारियों का कलेजा नहीं पसीजा तो मजबूरी में जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार को ओपीडी सेवा बंद कर दी।

वहीं आयुर्वेद विभाग की बहिरंग विभाग में ताला बंद कर दिया। सीनियर डॉक्टरों को भी इलाज करने से रोका। जूनियर डॉक्टर ऑफ ओपीडी के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं।मालूम हो कि आयुर्वेद संकाय में लगभग 108 शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है वही एमडीएमएस की सीटें मात्र 50 ही है। 

वहीं इसी बात को लेकर जूनियर डॉक्टर यानी कि पीजी स्टूडेंट मांग कर रहे हैं कि शिक्षकों की नियुक्ति के अनुपात में एमडीएमएस की सीटें भी बढ़ाई जाए। इसे लेकर इसलिए शादी प्रदर्शन किया था लेकिन प्रशासन ने झूठे आश्वासन देकर मामले को शांत करा लिया था।

वहीं समय बीत गया लेकिन छात्रों की मांगे पूरी नहीं हुई। इसके बाद करीब 15 20 दिन से छात्र इस संबंध में कुलपति से संवाद स्थापित करने के लिए संपर्क कर रहे थे। इसके लिए दर्जनभर मेल भी किया लेकिन उधर से कोई रिप्लाई नहीं आई। इससे मेडिकल छात्रों में असंतोष फैलते गया आक्रोश का गुबार आ भी फूट गया। 

वहीं इसके बाद 4 दिन पहले कुलपति आवास पर धरने पर बैठ गए। उनकी मांग थी की एमडीएमएस की सीटें बढ़ाई जाए। मेडिकल छात्रों के इस आक्रोश को देखते हुए अधिकारियों के भी हाथ-पांव फूल गए। कारण कि यह प्रदर्शन कुलपति आवास पर था कुलपति को मजबूरी में पिछले दरवाजे से निकलना पड़ता है।

वहीं हालांकि, आयुर्वेद संकाय के प्रमुख प्रोफ़ेसर केएन द्विवेदी ने मेडिकल छात्रों को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी मेडिकल छात्रों का कहना था कि कुलपति इस मामले में लिखित आश्वासन दें तभी आंदोलन खत्म होगा। छात्रों का आरोप है कुलपति को छात्रों की भावनाओं का कद्र नहीं है इसीलिए तो अपने घर के सामने ही बैठे छात्रों से मिलने की जहमत नहीं उठा रहे।

वहीं धरने से भी जब बात नहीं बनी छात्रों ने अस्पताल की चिकित्सा सेवा बाधित करने का फैसला लिया। मालूम हो कि एक-दो दिन की छुट्टी के बाद जब सोमवार को ओपीडी खुलती है तो मरीजों की काफी भीड़ होती है। यहां पर पूर्वांचल के साथ ही बिहार झारखंड मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के भी मरीज आते हैं। सोमवार को जब मरीजों को ओपीडी की सेवा नहीं मिली तो मायूस भी हुए। हालांकि प्रशासन मेडिकल के छात्रों को समझाने में लगा हुआ है।