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यूपी : जौनपुर के दलित बस्ती में महिलाओं को पुलिस द्वारा पीटने का लगा आरोप।
जौनपुर। जिले में एक वायरल वीडियो गुरुवार को चर्चा में आ गया। इसमें कुछ महिलाएं अपने कपड़ों को उतारकर पुलिस द्वारा पीटे जाने का आरोप लगाया है। पिटाई का वायरल वीडियो समाजवादी पार्टी ने शेयर कर यूपी में दलितों संग अत्याचार की जानकारी के साथ ही पुलिस और शासन प्रशासन पर आरोप लगाया है।
वहीं समाजवादी पार्टी ने वायरल वीडियो के साथ पोस्ट में लिखा है कि 'दलितों पर अत्याचार में नंबर 1 भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में एक और शर्मसार कर देने वाली पुलिसिया करतूत आई सामने। जौनपुर के बदलापुर में पुलिस द्वारा दलित महिलाओं की बर्बर पिटाई विचलित कर देने वाली घटना है। मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर हो सख्त कार्रवाई, पीड़ितों को मिले न्याय।
वहीं इसी पोस्ट पर ही सीओ की ओर से महिलाओं के आरोपित होने और उनका मेडिकल कराए जाने के साथ ही उनपर आपराधिक मामला होने की जानकारी का वीडियो पोस्ट किया है। वहीं इसी पोस्ट पर जौनपुर पुलिस ने भी कार्रवाई की जानकारी साझा की है।
वहीं बदलापुर थाना क्षेत्र के देवरिया गांव की दलित बस्ती में रविवार को विवादित भूमि पर लगे केले के फल को काटने लेने के विवाद को सुलझाने पहुंची पीआरबी पर एक पक्ष द्वारा हमला कर दिया गया था।
वहीं इसके बाद गुरुवार को महिलाओं की पुलिस द्वारा पिटाई किए जाने का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होने लगी। वायरल वीडियो में महिलाओं का कहना है कि पुलिस द्वारा उन्हें घरों में घुसकर बेरहमी से पीटा गया। बच्चों तक को नहीं छोड़ा गया। गुहार लगाने एसपी के यहां पहुंची वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसे लेकर बस्ती के लोग खौफजदा हैं।
वहीं हालांकि वायरल वीडियो में पुलिस पर लगाए गए आरोप को सीओ ने गलत बताया। 20 मार्च को उक्त गांव में जियालाल गौतम व जियावन गौतम के बीच केले के फल को काट लेने की घटना पर पहुंची पुलिस की पीआरबी टीम पर रामजियावन पक्ष के लोगों ने धावा बोल दिया था। जिसमें हेड कांस्टेबल राजेश यादव व चालक राजबिहारी को चोटें आई थी। पुलिस ने जियालाल की पुत्री राधा तथा हेड कांस्टेबल राजेश की तहरीर पर दर्जन भर लोगों पर केस दर्ज किया था।
वहीं पुलिस ने मौके से छह महिलाओं एवं दो पुरुषों को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय भेजा था। इसी घटना से जुड़ा वीडियो गुरुवार को इंटरनेट मीडिया में वायरल हुआ। जिसकी पड़ताल के बाबत सीओ अशोक सिंह ने बताया कि पुलिस द्वारा महिलाओं की पिटाई की बात पूरी तरह झूठ व निराधार है, क्योंकि चालान न्यायालय भेजते समय स्वास्थ्य परीक्षण कराया जाता है। यदि पिटाई हुई होती तो चोट की बात रिपोर्ट में आती। वायरल वीडियो पूरी तरह से मनगढ़ंत है।