Headlines
Loading...
हिमाचल प्रदेश : शिमला में सरकारी व प्राइवेट कालेजों को 180 दिन के भीतर देनी होगी डिग्री।

हिमाचल प्रदेश : शिमला में सरकारी व प्राइवेट कालेजों को 180 दिन के भीतर देनी होगी डिग्री।

                        Vikash Vicky Goyal Reporter

हिमाचल प्रदेश। शिमला में हिमाचल के सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों को स्नातक और स्नातकोत्तर (यूजी व पीजी) कोर्सेज की डिग्री 180 दिन में छात्रों को मुहैया करवानी होगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस संबंध में राज्य के सभी निजी व सरकारी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी कर दिए हैं। शिक्षा विभाग को भी इसकी प्रति भेजी गई है।

वहीं इसमें कहा गया है कि छात्रों को समय पर डिग्री मिलना उनका विशेषाधिकार है। यदि कोई संस्थान समय पर डिग्री मुहैया नहीं करवाता तो यूजीसी उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा करेगा। यूजीसी की ओर से जारी सर्कुलर में नियमों का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि परीक्षाओं के आयोजन व उसके मूल्यांकन से लेकर डिग्री जारी करने का समय तय है।

वहीं यूजीसी का कहना है कि कई संस्थान सालों तक छात्रों की डिग्री लटकाकर रखते हैं। इससे उच्च शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों को रोजगार के अवसरों की तलाश में समस्याएं पैदा होती हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय डिग्री जारी करने में सबसे ज्यादा देरी करता है। छात्रों का तय समय पर न तो रिजल्ट निकलता है और न ही डिग्री जारी होती है। यूजीसी की तरफ से आए इस सर्कुलर के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन को भी फटकार लग सकती है।

वहीं छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों में आम सभाएं बुलाकर तुरंत पीटीए गठन की मांग की है। अभिभावक मंच के राज्य संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूलों में पीटीए चुनाव के लिए आयोजित होने वाली आम सभाओं में वर्ष 2019 की तर्ज पर सरकारी स्कूलों के मुख्याध्यापकों, प्रधानाचार्यों व कालेज प्राध्यापकों को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया जाए। इससे पीटीए गठन में पारदर्शिता होगी।

वहीं मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक को चेताया है कि दिसंबर, 2018 के आदेशों के अनुसार अगर शीघ्र ही निजी स्कूलों में आम सभाएं आयोजित करके पीटीए का गठन न किया गया तो मंच आंदोलन तेज करेगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा व सदस्य विवेक कश्यप ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की निजी स्कूल प्रबंधनों से मिलीभगत है।

वहीं प्रदेश सरकार निजी स्कूलों में पढऩे वाले साढ़े छह लाख छात्रों व उनके लगभग दस लाख अभिभावकों को न्याय देने के बजाय निजी स्कूल प्रबंधनों की मनमानी लूट, फीस वृद्धि व भारी फीसों का खुला समर्थन कर रही है।