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यूपी : वाराणसी सहित पूर्वांचल में स्कूली यूनिफार्म की कीमतें भी 20 फीसद तक हुईं बढ़ोतरी, वहीं कई अभिभावकों ने एक सेट से ही काम चलाने का लिया निर्णय।
वाराणसी। नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही कापी, किताब, स्टेशनरी, ड्रेस की दुकानों की रौनक लौट आई है। दिन में तीखी धूप होने के कारण शाम को दुकानों पर अभिभावकों की भीड़ लग रही है। वहीं नए सत्र में किताब-कापी के साथ-साथ यूनिफार्म के दामों में 20 फीसद तक की वृद्धि हुई है। दुकानदार जुलाई से यूनिफार्म की कीमतों में 20 फीसद और बढऩे की आशंका जता रहे हैं। ऐसे अभिभावकों को लाडले के पढ़ाने का बोझ और बढऩे की उम्मीद है।
वहीं सरस्वती नगर, चंदुआ छित्तूपुर के संजय चौबे ने बताया कि दोनों बच्चों की फीस जमा कर दिया। कापी-किताब भी खरीद ली है। वहीं ड्रेस की बारी आई तो बजट ने जवाब दे दिया। ऐसे में फिलहाल दो सेट के स्थान पर एक सेट ड्रेस ही खरीदा।
वहीं एक ही विद्यालय में कई तरह के ड्रेस चलते हैं। कई विद्यालयों में बुधवार या शनिवार को लोवर-टी-शर्ट ड्रेस कोड है। सामान्य दिनों में पैट-शर्ट। हाउस के हिसाब से भी अलग-अलग ड्रेस निर्धारित है। इसी प्रकार कुछ विद्यालयों में स्पोट्स के लिए अलग परिधान है। ऐसे में एक बच्चे को चार सेट ड्रेस लेना होता है। बच्चों का डे्रस हर रेडीमेड दुकानों पर नहीं मिलता है। कुछ खास दुकानों पर ही मिलता है। ऐसे में अभिभावक निर्धारित दुकानों से ही ड्रेस खरीदने की बाध्य हैं।
वहीं दूसरी ओर अब बच्चों का रेडीमेड ड्रेस बनारस में ही बनाए जा रहे हैं। यही नहीं चंदौली, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, कानपुर, मीरजापुर सहित पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में ड्रेस की आपूर्ति बनारस से ही हो रही है।
1. हाफ शर्ट : 400-580, 2. फुल शर्ट : 435-600, 3. हाफ पैंट : 275-410, 4. फुल पैंट : 430-595, 5. स्कर्ट : 430-640, 6. टी-शर्ट : 335-525, 7. लोवर : 355-460,
वहीं बीएचयू से संबद्ध सेंट्रल हिंदू स्कूल कमच्छा में प्रवेश प्रक्रिया में लाटरी प्रणाली अपनाए जाने का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। नित नए संगठन इसके विरोध में आगे आ रहे हैं। मंगलवार को एक देश समान शिक्षा अभियान व पूर्वांचल अभिभावक संघ के लोगों ने बीएचयू केंद्रीय कार्यालय पर किया प्रदर्शन कर धरना दिया और कार्यालय प्रभारी को कुलपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
वहीं दोनों संगठनों के लोगों ने प्रवेश प्रक्रिया में लाटरी प्रणाली को मेधावी बच्चों के साथ अन्याय बताया। कहा कि इससे विद्यालय में प्रतिभाशाली बच्चों की संख्या कम होगी और स्कूल की छवि खराब होगी। यह प्रणाली एनी बेसेंट व महामना द्वारा देखे सपने पर कुठाराघात होगा।