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यूपी : भारतीय नवसंवत्सर 2079 में 1563 साल बाद दुर्लभ संयोग में शुरू हुआ हिंदू नव वर्ष।
वाराणसी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तद्नुसार शनिवार को शक्ति की आराधना के महापर्व वासंतिक नवरात्र के साथ नवसंवत्सर 2079 शुरू हो रहा है। इस बार रेवती नक्षत्र और तीन राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत होना शुभ संकेत है। राक्षस नामक नवसंवत्सर के राजा शनि देव और मंत्री देवगुरु बृहस्पति रहेंंगे।
वहीं काशी विद्वत परिषद महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि नवसंवत्सर की शुरुआत में मंगल और राहु-केतु अपनी उच्च राशि में रहेंगे वहीं, शनि खुद की ही राशि मकर में होगा। नववर्ष के सूर्योदय की कुंडली में शनि-मंगल की युति से धन, भाग्य और लाभ का शुभ योग बन रहा है। इस योग के प्रभाव से ये साल मिथुन, तुला और धनु राशि वाले लोगों के लिए बहुत शुभ रहेगा। वहीं, अन्य राशियों के लिए बड़े बदलाव का समय रहेगा। ग्रहों का ऐसा संयोग 1563 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 22 मार्च 459 को ये ग्रह स्थिति बनी थी।
वहीं ये नववर्ष रेवती नक्षत्र में शुरू होगा। इसके स्वामी बुध हैं। बुध के कारण कारोबार में फायदा होता है इसलिए इस नक्षत्र में खरीदी-बिक्री करना शुभ माना जाता है। व्यापार का कारक बुध भी इस नक्षत्र में रहेगा। जिससे बड़े लेन-देन और निवेश के लिए पूरा साल शुभ रहेगा।
वहीं साल की शुरुआत मीन राशि में हो रही है। जिसके स्वामी गुरु है। इसलिए ये समय सबके लिए शुभ रहेगा। पूरे नवरात्र में मंगल अपने ही नक्षत्र में रहेगा। साथ ही 5 दिन उच्च राशि में रहेगा। जिससे प्रॉपर्टी के कारोबार में तेजी आने के योग हैं। वहीं, बृहस्पति के कारण खरीदारी से सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
वहीं इस बार सरल, सत्कीर्ति और वेशि नाम के राजयोगों में नववर्ष की शुरुआत हो रही है। जिससे नवरात्र में खरीदारी, लेन-देन, निवेश और नए कामों की शुरुआत करना शुभ रहेगा। इन योगों का शुभ फल पूरे साल दिखेगा। जिससे कई लोगों के लिए ये साल सफलता और आर्थिक मजबूती देने वाला रहेगा। इस साल लोगों के कल्याण के लिए योजनाएं बनेंगी और उन पर काम भी होगा। कई लोगों के लिए बड़े बदलाव वाला साल रहेगा।
वहीं नवसंवत्सर 2079 में राजा शनि देव व मंत्री देव गुरु बृहस्पति रहेंगे। ग्रहों में न्यायाधीश शनिदेव कर्म फल से न्याय करेंगे प्रदान, वहीं देव गुरु बृहस्पति मंत्री के रूप में सकारात्मकता बढ़ाएंगे। जब शनि वर्ष के राजा होते हैं तो देश में उत्पात और अव्यवस्था तो बढ़ती है लेकिन मंत्री गुरु होने से विद्वानों की अच्छी सलाह से मुसिबतें कम हो जाती हैं। इस दौरान धार्मिक कार्य बढेंगे। शिक्षा का स्तर और बढ़ेगा।
वहीं इस संवत्सर में ग्रहों के खगोलीय मन्त्री परिषद के 10 विभागों में राजा और मंत्री सहित 5 विभाग पाप ग्रहों के पास तथा 5 शुभ ग्रहों के पास रहेगा। इस वर्ष राजा-शनि, मन्त्री-गुरु, सस्येश-सूर्य, दुर्गेश-बुध, धनेश-शनि, रसेश-मंगल, धान्येश-शुक्र, नीरसेश-शनि, फलेश-बुध, मेघेश-बुध होंगे।
वहीं नववर्ष शुरू होते ही सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा। अप्रैल में सबसे पहले मंगल सात तारीख को मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसके अगले दिन बुध मेष राशि में आ जाएगा। फिर 11 मार्च को राहु-केतु राशि बदलकर मेष और तुला में आ जाएंगे। 13 को गुरु कुंभ राशि में और 14 को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में आएगा। इसके बाद महीने के आखिरी में 27 को शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में और 28 को शनि अपनी ही राशि कुंभ में प्रवेश करेगा। चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि बदलता ही है। इस तरह नए साल के शुरू होने के महीने भर में ही सारे 9 ग्रह राशि परिवर्तन कर लेंगे।