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नई दिल्ली : यूक्रेन संकट के बीच रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला, देश की निजी कंपनियों से हथियारों की खरीद के लिए निर्धारित किया 25 फीसद बजट।

नई दिल्ली : यूक्रेन संकट के बीच रक्षा मंत्रालय का बड़ा फैसला, देश की निजी कंपनियों से हथियारों की खरीद के लिए निर्धारित किया 25 फीसद बजट।

                       Sumit Malviya City Reporter

नई दिल्ली। देश में रक्षा क्षेत्र की घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला किया है। घरेलू पूंजी खरीद और अधिग्रहण बजट का 25 फीसदी हिस्सा घरेलू निजी उद्योग के लिए निर्धारित किया जाएगा। जो की करीब 21,149.47 करोड़ रुपये होगा। सरकार का यह कदम रक्षा उत्पादन क्षेत्र में काम कर रहे निजी उद्योग, एमएसएमई और स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के तौर पर देखा जा रहा है।

वहीं रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि 1,500 करोड़ रुपये की राशि घरेलू पूंजी खरीद के लिए आवंटन के भीतर स्टार्ट-अप जिसमें आईडेक्स स्टार्ट-अप भी शामिल हैं। उनसे खरीद के लिए निर्धारित किए गए हैं। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में घरेलू रक्षा उद्योग के लिए 84,597.89 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।

वहीं गुरुवार को भारत ने रक्षा उपकरणों और हथियारों की अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता घटाने की पहल को तेज करते हुए 101 सैन्य साजो-समानों और हथियारों की तीसरी सूची जारी की थी। जिनका आयात अगले पांच साल तक नहीं किया जाएगा। डीआरडीओ सरकारी क्षेत्र की रक्षा उत्पादन कंपनियों के साथ ही निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों को इन सैन्य साजो-सामान और हथियारों के उत्पादन का रास्ता साफ करेगा।

वही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरूवार को 101 सैन्य साजो-समान व हथियारों के आयात पर रोक की तीसरी सूची जारी करते हुए प्रसन्नता का इजहार की थी और कहा था कि इसे देशी रक्षा उत्पादन कंपनियों को प्रोत्साहन मिलेगा। इन सैन्य उपकरणों की सूची में सेंसर्स, हथियार और गोला-बारूद, नौसेना के लिए हेलीकाप्टर, गश्ती जहाज, जहाज-रोधी मिसाइलें, एंटी रैडिएशन मिसाइलें आदि शामिल हैं।

वहीं दूसरी तरफ़ उन्होंने कहा था कि रक्षा उपकरणों और हथियारों की तीसरी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची का जारी होना यह दर्शाता है कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की हमारी गति तेज हो रही है। राजनाथ सिंह ने तीसरी सूची जारी करते हुए कहा कि इस फैसले के दो उद्देश्य हैं- पहला रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाना और दूसरा रक्षा उपकरणों-हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देना। हालांकि रक्षा मंत्री ने साफ किया कि आत्मनिर्भरता हासिल करने का मतलब यह नहीं होगा कि हम दुनिया की रक्षा क्षेत्र की प्रगति से कोई सरोकार नहीं रखेंगे बल्कि हमारा लक्ष्य विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त साझेदारी में काम करने पर भी होगा।

बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच वर्षों में रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में 25 बिलियन डालर (1.75 लाख करोड़ रुपए ) के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसमें पांच बिलियन डालर (35,000 करोड़ रुपए) के सैन्य साजो-समान के निर्यात का लक्ष्य भी शामिल है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आयात पर रोक की यह तीसरी सूची हमारे घेरलू रक्षा उद्योग क्षमताओं को प्रदर्शित करती हैं।

वहीं यह हर्ष की बात है कि पहली और दूसरी सूची के आधार पर अब तक 54000 करोड रुपए से अधिक का रक्षा उत्पादन का अनुबंध किया जा चुका है। रक्षा मंत्री ने आयात पर रोक संबंधी जो तीसरी सूची जारी की है वह दिसंबर 2022 से प्रभावी होगी और इन 101 सैन्य साजो-समान को विदेशों से खरीदने पर रोक दिसंबर 2027 तक जारी रहेगी।