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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला , दुष्कर्म व हत्या के मामले में मृत्युदंड पा चुके अपराधी की सजा को उम्रकैद किया तब्दील
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या के मामले में मृत्युदंड पा चुके एक अपराधी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि अपराधी की अपंग मानसिकता को दुरुस्त करने के लिए अधिकतम सजा हमेशा निर्धारक कारक नहीं हो सकती।
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट व बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने हत्या के मामले में आरोपित की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, जबकि दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा को 20 साल कैद में तब्दील कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अधिकतम सजा हमेशा निर्धारक कारक नहीं हो सकती
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सजा सुनाते हुआ कहा कि अपराधी को मानसिकता में सुधार का मौका देना चाहिए, ताकि जब वह जेल से निकले तब समाज के लिए उपयोगी साबित हो। मुकदमे के अनुसार, वारदात 17 अप्रैल, 2013 की है, जब मध्य प्रदेश के सिवनी जिले स्थित एक गांव की चार वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई।
35 वर्षीय मुहम्मद फिरोज ने घंसौर शहर में दुष्कर्म के बाद बच्ची को एक खेत में फेंक दिया था। अगली सुबह उसे नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कालेज, जबलपुर ले जाया गया। स्थिति गंभीर होने पर उसे एयर एंबुलेंस से नागपुर लाया गया और केयर हास्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन वह बच नहीं सकी। मध्य प्रदेश के निजी पावर प्लांट में काम करने वाले फिरोज को बिहार के भागलपुर जिले से गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था।