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जौनपुर : जिला न्यायालय में अभिनेता आमिर खान , निर्माता और निर्देशक ने दाखिल किया वकालतनामा
जौनपुर. जातिगत भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में यशराज फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की फिल्म ठग्स ऑफ हिंदुस्तान में फिरंगी मल्लाह शब्द का प्रयोग कर निषाद समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंची.
वहीं इस मामले में वादी हंसराज द्वारा दाखिल निगरानी में कोर्ट से नोटिस के बाद बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान, निर्माता आदित्य चोपड़ा और निर्देशक विजय कृष्ण आचार्य अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी द्वितीय की अदालत में गुरुवार को वकालतनामा के साथ लिखित जवाबदेही दाखिल कराए.
आरोपितों का तर्क है कि फिल्म एक अंग्रेजी उपन्यास पर आधारित है. फिल्म के पात्र व घटनाएं काल्पनिक है. फिल्म मनोरंजन के लिए बनाई गई. किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई आशय नहीं था. इसलिए वादी की याचिका निरस्त की जाए. कोर्ट ने 20 मई तिथि नियत करते हुए मजिस्ट्रेट कोर्ट से मूल पत्रावली तलब किया है. पत्रावली आने के बाद दोनों पक्षों की बहस सुनकर फैसला किया जाएगा.
लाइन बाजार थाना क्षेत्र के हरईपुर निवासी हंसराज निवासी ने अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव के माध्यम से ठग्स आफ हिंदुस्तान फिल्म के अभिनेता आमिर खान व निर्माता, निर्देशक के खिलाफ परिवाद दायर किया था कि फिल्म के ट्रेलर में मल्लाह जाति को फिरंगी मल्लाह शब्द कह कर अपमानित किया गया. जिसे वादी व गवाहों ने 30 अक्टूबर 2018 को इंटरनेट मीडिया पर देखा. उनकी भावनाएं आहत हुई. आजादी के पूर्व आजादी के दीवानों को आतंकवादी, ठग आदि कहते थे. टीआरपी बढ़ाने के लिए दुर्भावनापूर्ण ढंग से निषाद समाज को ठग व फिरंगी की संज्ञा फिल्म में दी गई. आमिर खान को फिल्म में फिरंगी मल्लाह से संबोधित किया गया.
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने परिवाद अस्वीकृत कर दिया था कि फिल्म की घटनाएं एवं पात्र काल्पनिक होने का फिल्म के आरंभ में जिक्र होता है. कोई कहानी मनोरंजन के लिए बनाई जाती है न की किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए. जिला जज कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका में अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव व उपेंद्र विक्रम सिंह ने बहस में तर्क दिया था कि तलब स्तर पर प्रथम दृष्टया ही साक्ष्य का निर्धारण किया जाता है. परिवाद अस्वीकृत करने को कोई विशेष वजह व सम्पूर्ण साक्ष्य का अभाव अवश्य होना चाहिए. कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका स्वीकृत कर विपक्षीगण को नोटिस जारी किया था.