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कानपुर : तीन हज़ार साल प्राचीन ययाति के किले के अवशेष पर अफसोस , अतीत की सभ्यता मिटा रहीं असभ्यता

कानपुर : तीन हज़ार साल प्राचीन ययाति के किले के अवशेष पर अफसोस , अतीत की सभ्यता मिटा रहीं असभ्यता


कानपुर । वैसे तो कई पौराणिक महत्व के स्थान हैं, मगर जाजमऊ स्थित राजा ययाति के किले की बात ही कुछ अलग है। इस किले में तीन हजार साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिले हैं।


अफसोस, यह सभ्यता कुछ लोगों के 'असभ्यता' से मिटने की कगार पर है। राज्य पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते किले पर वर्ग विशेष के लोगों ने कब्जा कर लिया है। प्रदेश भर में अवैध कब्जों को खाली कराया जा रहा, मगर इतिहास समेट किले से कब्जे हट नहीं पा रहे। चलिए इतिहास के गलियारों में जाकर इस किले की कहानी जानते हैं।

जितना ऊपर दिखता है, उससे ज्यादा जमीन में भी धंसा है किला : गंगा के किनारे जाजमऊ टीला के नाम से जाने वाला इलाका कभी राजा ययाति का राजमहल हुआ करता था। किवदंति है कि किला जितना ऊंचा दिखाई देता है, उसे ज्यादा जमीन के अंदर तक भी धंसा हुआ है। माना जाता है कि किसी प्राकृतिक आपदा की वजह से किला जमींदोज हो गया। यह किला 28 फरवरी 1968 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है। जाजमऊ पुराना गंगा पुल निर्माण के लिए इस किले की खोदाई शुरू हुई तो इसमें तीन हजार साल पुरानी सभ्यता के बर्तन व कलाकृतियां मिलीं। ऐसे भी अवशेष मिले, जिसके आधार पर कहा गया कि यहां की संस्कृति इससे भी अति प्राचीन थी।

पिता को दान दी थी अपनी जवानी : इतिहास की किताबों के मुताबिक चंद्रवंशी राजा नहुष के छह पुत्र थे, याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति और कृति। बड़े पुत्र याति के विरक्त स्वभाव की वजह से राजा ने ययाति को राजगद्दी पर बैठाया। ययाति का विवाह दैत्यगुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से हुआ। ययाति पत्नी देवयानी की सहेली शमिष्ठा पर मंत्रमुग्ध हुए और उससे विवाह कर लिया। शुक्राचार्य ने ययाति को जवान से बूढ़ा हो जाने का श्राप दिया। क्षमा याचना के बाद शुक्राचार्य ने कहा कि उनका कोई पुत्र उन्हें अपनी जवानी दे दे तो वह दोबारा से जवान हो सकते हैं। ययाति के पांच बेटे थे, जिसमें शर्मिष्ठा से ही उत्पन्न पुत्र पुरू ने अपनी जवानी पिता को दान दे दी। हालांकि, जब ययाति को भोग-विलास से घृणा हुई तो पुरू को राज्य सौंपकर जंगल में तपस्या करने चले गए।

अवैध कब्जे से कराह रहा किला : राज्य पुरातत्व विभाग ने अक्टूबर 2017 को एक पत्र जिला प्रशासन को लिखा था कि किला 10 हेक्टेयर क्षेत्रफल में है। वर्ष 1978 से इसका प्रबंधन कानपुर विकास प्राधिकरण के पास है। इस पत्र में पिंटू सेंगर हत्याकांड में जेल में बंद पप्पू स्मार्ट का भी जिक्र है। उसने यहां पांच बीघे क्षेत्रफल पर दीवार खड़ी करके कब्जा कर बड़ा गेट लगा लिया है। इसके अंदर बड़ी संख्या वर्ग विशेष के लोग रहते हैं। आसपास की जमीनों को भी बेच दिया गया। वर्ष 2017 में अधिवक्ता संदीप शुक्ला ने थाना चकेरी में मुकदमा दर्ज कराया गया तो मामला प्रकाश में आया। मामले में चार्जशीट लग चुकी है, लेकिन भूमि को खाली कराने की कोशिश अब तक नहीं की गई। चर्चा तो यहां तक है कि यहां खोदाई कर ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं की तस्करी की जा रही है। राज्य पुरातत्व विभाग केवल खतों का खेल वर्षों से खेल रहा है।

-किले से जुड़े दस्तावेज मंगाए गए हैं। संबंधित विभागों से सामंजस्य बनाकर इस धरोहर को बचाने की कोशिश की जाएगी।