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मध्य प्रदेश : इंदौर में पेरासिटामोल और अल्प्राजोलम पाउडर से बनी सिंथेटिक ड्रग हुआ जब्त।

मध्य प्रदेश : इंदौर में पेरासिटामोल और अल्प्राजोलम पाउडर से बनी सिंथेटिक ड्रग हुआ जब्त।


मध्य प्रदेश। इंदौर पुलिस ने एक क्विंटल 51 किलोग्राम सिंथेटिक फॉर्मास्यूटिकल ड्रग के साथ पांच तस्करों को गिरफ्तार किया है। इस गिरोह के तार मंदसौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब तक सप्लाई स्वीकारी है। जब्त ड्रग पेरासिटोमाल, अल्प्राजोलम पाउडर से तैयार की गई है जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में 15 करोड़ 18 लाख रुपये कीमत है। 

वहीं तस्कर शहर के सबसे व्यस्त बाजार से ड्रग की सप्लाई करते थे। सरगना मुजफ्फरपुर का अंकुर जाट है जो दुबई से नशीला पदार्थ खरीद कर पशु आहार की आड़ में पूरे देश में ड्रग की सप्लाई करता है। आरोपित इस ड्रग को ब्राउन शुगर बताकर बेच देते थे, जिसका असर ब्राउन शुगर से भी ज्यादा होता था। खुदरा बाजार में इसका मूल्य 1700 रुपये प्रतिग्राम तक है।

वहीं पुलिस का दावा है कि जब्त ड्रग की कीमत यूं तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक करोड़ रुपये किलोग्राम है जिसे राघव 10 से 12 लाख रुपये किलो बेचता था। यह ड्रग मेथ, एलएसडी, म्याऊं-म्याऊं और एमडीएमए से ज्यादा नशीली है।डीसीपी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपितों का नाम मोहम्मद आरिफ (भवानी नगर), कार्तिक बघेल (मुखर्जी नगर), दिनेश राठौर (भवानी नगर), कोमल सहरिया (नरवल), अजय जादौन (नार्थ गाडराखेड़ी) है। 

वहीं तस्करों ने पूछताछ में बताया कि मुजफ्फपुर का अंकुर जाट नशीले पदार्थों की सप्लाई करता था जिसमें पेरासिटामोल और अल्प्राजोलम पाउडर मिक्स कर ब्राउन शुगर की तरह सिंथेटिक ड्रग तैयार कर लेते थे। इस ड्रग का तीन-चार बार सेवन करने के बाद व्यक्ति नशे का आदि होकर डोज के लिए तड़पने लगता है। पुलिस राघव और अंकुर की तलाश कर रही है।

वहीं मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने ड्रग से भरे ड्रम, बोरे, नोट गिनने की मशीन, मिक्सर और चार लाख रुपये कैश बरामद किए है। डीलर का नाम राघव है जो पोल्ट्री फीड का लाइसेंस लेकर चेतक सेंटर में तीन फ्लैट किराए से लेकर विभिन्न शहरों में ड्रग की सप्लाई करता था। वहीं एडिशनल डीसीपी जोन-4 के मुताबिक पुलिस ने सबसे पहले कार्तिक और आरिफ को गिरफ्तार किया। कार्तिक नशे का आदि है और बाणगंगा क्षेत्र में पान की दुकान चलाता है। 

वहीं वह आरिफ के माध्यम से ड्रग (नशीला पदार्थ) खरीद कर गुटखा के पाऊच में युवाओं में सप्लाई करता था। कोमल पहले सांवेर रोड़ की एक दवा फैक्टरी में काम करता था। उसने ड्रग बनाने का फॉर्मूला सीख लिया और 40 हजार रुपये माह पर राघव के पास नौकरी करने लगा। कोमल अंकुर से खरीदे नशीले पदार्थ में पेरासिटामोल और अल्प्राजोमल (एपीजेड) पाउडर मिक्स कर सिंथेकिट ड्रग तैयार कर देता था। आरोपित इस ड्रग को ब्राउन शुगर बताकर बेच देते थे, जिसका असर ब्राउन शुगर से भी ज्यादा होता था। खुदरा बाजार में इसका मूल्य 1700 रुपये प्रतिग्राम तक है।

वहीं एडीसीपी के मुताबिक अंकुर दुबई से नशीली दवाईंयों का रा मटेरियल खरीदकर देश के विभिन्न शहरों में सप्लाई करता है। वह राघव के पास दवाईंयों के रैपर में कोरियर द्वारा पार्सल भेजता है। उसमें कोमल अल्प्राजोलम का मिक्स कर ज्यादा नशीला बना देता था। पुलिसकर्मी पंकज और कमलेश ने जब ड्रग की जब्ती बनाई तो इतना नशा हो गया कि वह बहकी बहकी बातें करने करने लगे। 

वहीं टीआइ दिलीप कुमार ने कॉल कर कार्रवाई के बारे में पूछा तो पहचानने से इन्कार कर दिया। एडीसीपी के मुताबिक आरोपित अजय जादौन वर्ष 2018 में एमडीएमए सप्लायर रईस उर्फ रईसुद्दीन के साथ मुंबई में गिरफ्तार हो चुका है। रईस फिलहाल 70 किलो एमडीएमए केस में जेल में बंद है।