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यूपी : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि न्यायालय को गुमराह करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं वादकारी।
प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका में तथ्यों को छिपाने पर नाराजगी जताई है और इसके लिए याची पर 50 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने याची से हर्जाने की राशि हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के खाते में जमा करने को कहा है। हर्जाने की रकम नहीं जमा होने पर उसकी प्राप्ति के लिए हाई कोर्ट बार अर्जी दाखिल कर सकती है।
वहीं यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने राम प्रसाद राजौरिया की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि 40 वर्षों में नैतिक मूल्यों में कमी आई है। अब वादकारी न्यायालय को गुमराह करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। उनके पास सच्चाई का कोई सम्मान नहीं है। कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व युग में सत्य न्याय वितरण प्रणाली का एक अभिन्न अंग था।
वहीं हालांकि स्वतंत्रता के बाद की अवधि में हमारी मूल्य प्रणाली में भारी बदलाव देखा गया है। भौतिकवाद ने पुराने लोकाचार को ढंक दिया है और व्यक्तिगत लाभ की तलाश इतनी तीव्र हो गई है कि मुकदमेबाजी में शामिल लोग अदालती कार्यवाही में झूठ गलत बयानी और तथ्यों के दमन का आश्रय लेने से नहीं हिचकिचाते। वादकारियों की इस नई नस्ल की चुनौती का सामना करने के लिए सिद्धांत विकसित किए गए हैं।
वहीं अब यह अच्छी तरह से तय हो गया है कि एक वादकारी जो न्याय को प्रदूषित करने का प्रयास करता है या जो दागी हाथों से न्याय के शुद्ध फव्वारे को छूता है। वह किसी भी राहत अंतरिम या अंतिम का हकदार नहीं है। न्यायालय से भौतिक तथ्यों को छिपाना वास्तव में न्यायालय के साथ धोखाधड़ी का खेल है।
वहीं कोर्ट ने कहा कि याची उसी राहत का दावा करते हुए पहले हाई कोर्ट आ चुका है। कोर्ट ने उसकी याचिका को 15 मार्च 2018 खारिज कर दिया था लेकिन याची ने यह जानकारी कोर्ट से छुपाई। विपक्षी के अधिवक्ता ने इस तथ्य को बताया। खंडपीठ ने इसे न्याय का दुरुपयोग बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाले से कहा कि कोर्ट कोई खेल का मैदान नहीं है। मामले में तथ्यों को छुपाया गया था।
वहीं मामला हाथरस में सिकंदरा राव तहसील के बराई ग्राम पंचायत का है। याची ने ग्राम पंचायत के विकास के लिए दो व्यक्तियों पर सरकार के पैसे का गबन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी।