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यूपी : वाराणसी में आज मठ, मंदिरों व गंगा घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देकर मनाएं नव सम्वत्सर।
वाराणसी। काशी के विद्वानों ने गंगा घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देकर नव सम्वत्सर मनाने व उसे भव्य व दिव्य स्वरूप देने की अपील की। महमूरगंज के पासपोर्ट आफिस के पास एक होटल में आयोजित सनातन संस्कृति में नव संवत्सर का महत्व विषय पर आयोजित संवाद व विमर्श कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि नव सम्वत्सर पूरी तरह से वैज्ञानिक व तर्क की कसौटी पर आधारित है। इसे हर कालखंड में सही पाया गया है।
वहीं मुख्य अतिथि बीएचयू के पूर्व कुलपति व उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. गिरीशचंद्र त्रिपाठी ने कहा कि मानव जीवन के कल्याण के लिए नव सम्वत्सर जरूरी है। इसे मानवता, ऐतिहासिकता व व्यवहारिकता के अलावा वैज्ञानिक परीक्षण पर भी सही व सत्य पाया गया है। नव सम्वत्सर सृष्टि का प्रथम दिन है। यह हमारी जीवन रचना को सही दिशा देने में सहायक है।
वहीं विशिष्ट अतिथि पद्यम भूषण डा.देवी प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि नूतन सम्वत्सर का सही ढंग से पालन करने से मानव जीवन का कल्याण होता है। कार्यक्रम के आयोजक पूर्व महापौर रामगोपाल मोहले ने कहा कि केसरिया झंडा लगाकर नव सम्वत्सर की शुरुआत करें। उन्होंने कहा कि काशी की ध्वनि देश से लेकर विदेश तक पहुंचती है। बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म संकाय के व्याकरण विभाग के अध्यक्ष प्रो. राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि नव सम्वत्सर राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है।
वहीं भारत माता के चित्र पर माल्र्यापण, दीप प्रज्ज्वलन व शंख ध्वनि से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। अध्यक्षता साहित्यकार जितेंद्र नाथ मिश्रा ने किया। प्रो. कामेश्वर नाथ उपाध्याय, डा. विभा मिश्रा, प्रो.मारुति नंदन तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर डा. रत्नेश वर्मा, नंदिता शास्त्री, आलोक पारिख, प्रेम कपूर, उषा नंदन तिवारी, सतीश चंद्र मिश्रा, विनोद भारद्वाज, अशोक मिश्रा आदि रहे।