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यूपी : पूर्वांचल में चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मंदिरों में उमड़े भक्तजन, वहीं शक्तिपीठों में कर रहे माता के दर्शन।
लखनऊ। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण लगभग दो वर्ष तक पर्व तथा त्यौहार उत्साह से मनाने से वंचित रहे लोग होली के बाद अब चैत्र नवरात्रि 2022 को काफी धूमधाम से मना रहे हैं। शनिवार को चैत्र नवरात्रि के पहले दिन उत्तर प्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों में काफी भीड़ उमड़ी है। भक्त जन मां शैलपुत्री की अराधना में लीन हैं। माता के भक्त शुक्रवार देर रात से ही मंदिरों के बाहर एकत्र हो गए और शनिवार तड़के ही दर्शन प्राप्त किया।
वहीं चैत्र नवरात्रि के पहले दिन प्रदेश भर के दुर्गा मंदिरों में सुबह से पूजा-अर्चना की जा रही है। देवी मां के मंदिरों के बाहर श्रद्धालुओं की लंबी लाइन लगी हुई है। भक्त मां दुर्गा के जयकारे लगा रहे हैं। नवरात्रि के नौ दिन माता रानी के नौ रूपों की पूरे विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। आज चैत्र नवरात्रि का पहला दिन है, इस दिन माता शैलपुत्री की आराधना होती है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कानपुर में श्रद्धालुओं ने वैभव लक्ष्मी मंदिर में पूजा की। प्रयागराज के अलोपी देवी मंदिर में भी चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे।
वहीं दूसरी तरफ़ मीरजापुर जिले में विश्व विख्यात शक्तिपीठ माता विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए लोग बड़ी संख्या में उमड़े हैं। इसी के साथ बलरामपुर में माता देवी पाटन, सहारनपुर में माता शाकुंभरी देवी के मंदिर में काफी भीड़ है। लोग तड़के से ही माता रानी के दर्शन कर रहे हैं। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना की जा रही है। सभी लोग भक्ति भाव से सभी ने मां का पूजन कर रहे हैं। इस बार भक्तों को नौ दिन देवी की आराधना का अवसर मिलेगा।
वहीं मीरजापुर में चैत्र नवरात्रि पर इस बार मां विंध्यवासिनी के साथ उनके मंदिर का भी अद्भुत व अलौकिक श्रृंगार किया गया है। इस बार दो अप्रैल से 13 अप्रैल तक प्रतिदिन दोपहर एक से डेढ़ बजे तक व रात 12 से भोर चार बजे तक लगने वाला शयन नहीं लगेगा। इससे नवरात्र के समय श्रद्धालु प्रतिदिन 20 घंटे मां विंध्यवासिनी का दर्शन-पूजन कर सकेंगे।
वहीं आरती के समय श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन नहीं कर सकेंगे। इस समय मां की आरती व श्रृंगार होने के कारण मंदिर का कपाट बंद रहता है। कोरोना काल के दो साल बाद विंध्यधाम का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। अब नवरात्रि भर विंध्यधाम के साथ विंध्य पर्वत भक्तों से गुलजार रहेगा।
वहीं सुबह तीन से चार बजे तक मंगला आरती। दोपहर 12 से एक बजे तक मध्याह्न आरती। शाम सात से आठ बजे तक सांध्य आरती। रात्रि साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक राजश्री आरती। मां विंध्यवासिनी अपने भक्तों के कल्याण के लिए प्रत्येक दिन चार रूपों में दर्शन देती हैं। जीवन के चार पुरुषार्थ अर्थ, धर्म, काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाली आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी की चार स्वरूपों में चार (अवस्था) आरती होती है। प्रत्येक अवस्था में यहां पर मां का स्वरूप बदल जाता है। मान्यता है कि मां विंध्यवासिनी की आरती के मात्र दर्शन कर लेने से हजारों अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
वहीं सिद्धपीठ विंध्याचल में तंत्र-मंत्र के साधक नवरात्र भर रुककर आदिशक्ति मां विंध्यवासिनी की साधना करते हैं। देश के कोने-कोने से भक्त मन्नत लेकर विंध्यधाम आते हैं और मां के दरबार से उन्हें निराश नहीं होना पड़ता।