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यूपी : एंडोक्राइनोलॉजिस्ट प्रो. एसके सिंह को वाराणसी आइएमएस बीएचयू का संभालेंगे प्रभार।
वाराणसी। एंडोक्राइनोलॉजिस्ट प्रोफेसर एसके सिंह को पूर्वांचल के एम्स कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू का निदेशक बनाया गया है। इसकी अधिसूचना बुधवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने जारी की।इसमें कहा गया है कि प्रोफेसर सिंह 18 अप्रैल से अस्थाई निदेशक की नियुक्ति होने तक इस पद को संभालेंगे। प्रोफेसर सिंह वर्तमान में मॉडर्न मेडिसिन संकाय के प्रमुख भी हैं। वे सोमवार को निदेशक पद भार ग्रहण करेंगे।
वहीं मालूम हो कि देश के सबसे प्रतिष्ठित व महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई चंडीगढ़ से प्रो. बीआर मित्तल जब चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू में निदेशक पद आए तो उनका उद्देश्य था कि वे यहां की व्यवस्थाओं को सुधार देंगे। हालांकि उनको यहां पर कार्य करने में अक्सर ही असहज होना पड़ा।
वहीं ऊपर बैठे अधिकारी व कुछ कर्मचारी भी लगभग हर कार्य में अड़ंगा लगाते रहे। खुलकर वे कार्य नहीं कर पाते ही इसकी भी चर्चा अक्सर ही होती थी। चर्चा यह थी कि इन्हीं कारणों से उन्होंने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया।
वहीं पिछले बुधवार को यह भी चर्चा हुई कि प्रो. मित्तल ने बीएचयू के अधिकारियों को यह लिखकर कहा था कि उन्हें हरहाल में 18 अप्रैल के पहले मुक्त कर दिया जाए। इसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया और बुधवार की शाम को उनका इस्तीफा स्वीकार करना पड़ा। बताया जा रहा है कि प्रो. मित्तल की छवि साफ व नियमों से समझौता नहीं करने वाली है, इसीलिए वे कई लोगों के आंखों की किरकिरी बने हुए थे।
वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल आइएमएस को एम्स लाइक इंस्टीट्यूट का दर्जा मिला। इसके पीछे मंशा थी कि इस क्षेत्र के मरीजों को बेहतर व सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके। कारण कि बीएचयू में अभी तक लगभग हर सेवा के लिए राशि चुकानी पड़ती है। इसके अलावा दवा, आपरेशन में उपयोग होने वाले इंप्लांट के लिए भी लाखों रुपये खर्च करने पड़ते है।
वहीं यही कारण कि बीएचयू के आसपास की सैकड़ों दुकानें फलफूल रही हैं। लोगों का आरोप है कि कुछ अधिकारी यही चाहते हैं कि ऐसे ही चलता रहे ताके उनकी भी झोली भरती रही। सूत्रों का कहना है कि यही कारण कि बाहर वालों की खूब चांदी कट रही है और इसका हिस्सा लेने वाले भी अंदर ही बैठे हैं। तमाम ऐसे डाक्टर व अधिकारी हैं जो मरीजों की पूरी ईमानदारी व सच्चे मन से सेवा करना चाहते हैं।
वहीं इसी कड़ी में पहली बार आइएमएस निदेशक के लिए पोस्ट विज्ञापित कर अखिल भारतीय स्तर पद को भरा गया। हालांकि, वे भी इस मकड़जाल में ही रह गए। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल आफिस व उसके पास बैठे कुछ लोग ऐसे लोगों को नहीं पचा पाते हैं जो नियमों व ड्रग माफियाओं से समझौता नहीं कर पाए।
वही यही कारण कि एक लाबी प्रो. मित्तल के खिलाफ अक्सर ही चाल चल रही है। खैर, प्रो. मित्तल इन सभी से दूर ही रहना पसंद कर रहे हैं। कारण कि जिस संस्थान से आए हैं उसका देश के एक प्रतिष्ठित व महत्वपूर्ण संस्थान में शुमार है। सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि देश के किसी बड़े संस्थान में बड़े पद पर जा सकते।