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यूपी : वाराणसी में रजिस्ट्री के आठ साल बाद भी जमीन पर नहीं मिला कब्जा, वहीं कालोनाइजर ने पीड़िता को भूल जाने की दी नसीहत।
वाराणसी। जमीन का पैसा लेने, रजिस्ट्री कराने के साथ तहसील के खतौनी में नाम चढऩे (दाखिल खारिज) के आठ साल बाद भी प्लाट पर कब्जा नहीं मिला। पीड़िता थाने के साथ पुलिस के उच्च और प्रशासनिक अधिकारियों के यहां प्रार्थनापत्र देकर जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग करती रही लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
वहीं कालोनाइजर कब्जा दिलाने के नाम पर पीडि़ता को करीब आठ साल से दौड़ा रहा है। इतना ही नहीं, जमीन देने की बजाय उसे भूल जाने की नसीहत दे रहा है। परेशान महिला ने अपर पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) को प्रार्थनापत्र देकर जमीन पर कब्जा दिलाने की मांग की है। कमिश्नरेट पुलिस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है।
वहीं हर व्यक्ति का सपना होता है कि अपना एक घर हो। घर बनाने के लिए वह क्या-क्या नहीं करता है। घर का खर्च कम करने के साथ अपनी इच्छाओं को मार देता है जिससे हर माह कुछ बचत कर सके। घर बनाने के लिए बैंक से लोन लेने के साथ पत्नी के जेवर तक बेच देता है। जिस दिन जमीन की रजिस्ट्री होती है उस दिन उसकी खुशी का ठिकाना नहीं होता है।
वहीं खुशियों को अपने सगे-संबंधियों को बताता है लेकिन उसे क्या मालूम कि जिस जमीन को लेने के लिए उसने जीवन की पूरी कमाई लगा दी है उसमें विवाद है। कई सालों तक पुलिस, जिला प्रशासन, कालोनाइजर या काश्तकार के यहां चक्कर लगाने के बाद भी कब्जा नहीं मिले तो उस पर क्या बीतती होगी।
वहीं सरिता त्रिपाठी पत्नी सत्य प्रकाश जो सारनाथ थाना क्षेत्र के कोटवा की रहने वाली हैं। उन्होंने एडीसीपी को दिए गए प्रार्थनापत्र में लिखा है कि मैं पढ़ी-लिखी नहीं हूं। केवल हस्ताक्षर करना जानती हूं। प्रार्थिनी की मुलाकात वर्ष 2013 में रंजना राय से हुई। उन्होंने बताया कि मेरे पति जयनीश राय जमीन का कारोबार करते हैं। 20 मार्च-2013 को नौ लाख रुपये में विभिन्न आराजीनंबर से 3400 वर्ग फीट जमीन की रजिस्ट्री हुई और तहसील के खतौनी में नाम भी चढ़ गया।
वहीं लेकिन कब्जा आज तक नहीं मिला। जमीन की रजिस्ट्री गिरीश कुमारी पत्नी इकबाल नारायण अखरी ने की थी। कालोनाइजर रजनीश राय ने कहा कि अभी जमीन पर प्लाट नहीं कटा है। जल्द ही प्लाट काटकर रजिस्ट्री का मूल बैनामा पेपर और कब्जा दे दिया जाएगा लेकिन आज तक नहीं हो सका। इससे मैं मानसिक रूप से परेशान हूं।
बता दें कि वहीं सुमन उपाध्याय पुत्री रामकृपा उपाध्याय जो बलुआ, गजापुर तहसील ङ्क्षपडरा की रहने वाली हैं। उन्होंने एडीसीपी को दिए गए प्रार्थनापत्र में लिखा है कि अखरी, परगना कसवार के रहने वाले रामजी ङ्क्षसह ने 20 मार्च-2013 को विभिन्न आराजी नंबर से 3400 वर्ग फीट कालोनाइजर जयनीश राय ने जमीन की रजिस्ट्री कराई। कालोनाइजर प्लाट दिखाने के साथ कहा कि जमीन की रजिस्ट्री कराने के साथ अपनी बाउंड्री करा लीजिएगा। कोई दिक्कत नहीं है।
वहीं मैं रजिस्ट्री का मूल पेपर और जमीन पर कब्जा लेने के लिए कई साल से जयनीश राय के पास दौड़ रही हूं लेकिन वह कब्जा देने को तैयार नहीं है। कहते हैं कि वाराणसी में रहना है और बच्चों को सलामत देखना है तो जमीन भूल जाइए। जमीन पर कब्जा दिलाने के साथ आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
वहीं शाइन सिटी इंफ्रा व नील गिरी इंफ्रा ने सैकड़ों लोगों से जमीन और फ्लैट के नाम पर पैसा लेने के बाद कब्जा नहीं दिया। सच्चाई परत दर परत खुलती जा रही है। कमिश्नरेट पुलिस मुकदमा दर्ज करने के साथ कई लोगों को जेल भेज चुकी है। मगर बनारस में कई और कालोनाइजर हैं जो लोगों को घर का सपना दिखाकर अभी तक जमीन और फ्लैट उपलब्ध नहीं कराएं हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ पीड़ित महिला सरिता त्रिपाठी व सुमन उपाध्याय ने प्रार्थनापत्र देकर कालोनाइजर पर जमीन पर कब्जा और मूल बैनामे की कापी नहीं देने का आरोप लगाया है। पूरे मामले की जांच की जा रही है। जांच में आरोप सही मिलने पर आरोपित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।