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यूपी : वाराणसी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में तेज धूप होने के बाद भी पत्थरों पर नहीं बिछी मैट, वहीं भक्तों के जल रहे पैर।
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नव्य-भव्य परिसर देश-दुनिया को आकर्षित कर रहा। गंगा घाट तक विस्तार और साज-संवार अलग ही भाव भर रहा, लेकिन 43 डिग्री सेल्सियश तक जा पहुंचा तापमान का पारा श्रद्धालुओं को बेहाल कर रहा। धूप से तवे की तरह तप रहे पत्थरों से पैरों में छाले तो पूरा बदन तप रहा।
वहीं कारण गंगा द्वार हो या गोदौलिया गेट किसी ओर से भी गर्भगृह तक जाने वाले रास्ते में न कहीं न तो मैट बिछाई गई है और न ही छांव की व्यवस्था की गई है। पीने के पानी का भी समुचित इंतजाम नहीं दिखता। यह बच्चों-बुजुर्गों समेत बाबा भक्तों को बेजार कर रहा।
वहीं वास्तव में बाबा दरबार के विस्तार व सुंदरीकरण की परिकल्पना के मूल में श्रद्धालु सुविधा थी। उद्देश्य था कि बाबा तक भक्तों का राह सुगम हो और गलियों के जंजाल से मुक्ति मिले। तय समय में कार्य पूरा हुआ और उम्मीद से भी अधिक भव्यता निखर कर सामने आई। मुख्य मार्ग से चौड़ा रास्ता और गंगा छोर पर भी भव्य प्रवेश द्वार मिला।
वहीं इसे देख कर हर चेहरा जरूर खिला और पहले जहां रोजाना हजार-दो हजार श्रद्धालु आते थे, उनकी संख्या 25 से 30 हजार तक जा पहुंची है। शनिवार-रविवार हो या छुट्टियों के अन्य दिन संख्या लाख के पार जाती है। नए साल के पहले दो दिनों में साढ़े पांच लाख तक जा पहुंची श्रद्धालु संख्या जन आकर्षण का अंदाज कराती है, लेकिन करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी श्रद्धालुओं को तपन से बचाने का इंतजाम न किया जाना हर एक को अखर रहा है।
वहीं मैट नजर भी आती है तो वीआइपी आगमन पर या खास तीज-त्योहार पर जबकि निर्माण के समय ही श्रद्धालुओं के पैरों को तपन से बचाने के लिए स्वर्ण मंदिर की तरह फर्श को पानी से गीला रखने का दावा किया जा रहा था। वह तो नहीं दिखा, मैट व शेड तक के इंतजाम नहीं किए गए। ऐसे में तवे की तरह तपती फर्श वाला रास्ता लोग लगभग दौड़ते पार कर रहे।
वहीं बाबा का मंदिर बहुत ही भव्य हो गया है लेकिन भयंकर गर्मी में श्रद्धालुओं के आने-जाने की राह में कम से कम मैट तो बिछानी ही चाहिए। छांव व पीने के पानी का भी प्रबंध किया जाना चाहिए। महाकाल मंदिर में वाटर ब्वाय पानी पिलाते हैं।
वहीं बाबा धाम में एक ही दिन में दो बार आना पड़ा। तल्ख धूप के चलते दोपहर में ललिता घाट से परिवार के साथ पहुंचे लेकिन तवे की तरह तपती सीढिय़ों के चलते अंदर जाने की हिम्मत नहीं कर पाया। ऐसे में शाम को फिर बाबा का दर्शन करने आया।
वहीं बाबा दरबार में पहली बार घाट के रास्ते दर्शन करने आया। भव्य परिसर व सुगमता से दर्शन तो जरूर हुआ लेकन पैर में छाले पड़ गए। मंदिर प्रशासन को धूप को देखते भक्तों के लिए सुगम व्यवस्था करनी चाहिए।