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यूपी : आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों पर कसा नकेल , मानक के विपरीत दवा बनाने पर नोटिस जारी
लखनऊ । प्रदेश में आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया गया है। जिन कंपनियों के सैंपल मानकों पर खरे नहीं पाए गए थे, उन्हें नोटिस जारी किया गया है।
अब कंपनियों के लाइसेंस लेने के मानक और प्रक्रिया को भी बदल दिया गया है। ऐसे में कंपनियों को डॉक्टर, फार्मासिस्ट की तैनाती के साथ ही आधारभूत सुविधाओं का भी विस्तार करना होगा।
दरअसल, ज्यादातर आयुर्वेदिक दवा कंपनियों के पास आधारभूत सुविधाएं नहीं हैं। कोई एक कमरे में कई प्रोडक्ट बना रहा है तो कोई एक प्रोडक्ट का लाइसेंस लेकर मनमाने तरीके से कई दवाएं बना रहा है। इसी का नतीजा रहा कि राज्य स्तरीय लैब में हुई जांच में 72 फीसदी आयुर्वेदिक दवाएं अधोमानक पाई मिली हैं। जिन कंपनियों के सैंपल फेल हुए हैं, उन्हें नोटिस जारी किया गया है। संबंधित क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी को भी पत्र भेजा गया है। अधोमानक सैंपल स्थानीय स्तर की कंपनियों के हैं। इनके संबंधित प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लगा दिया गया है। आयुर्वेद निदेशक डॉ. एसएन सिंह ने बताया कि संबंधित कंपनी को चेतावनी दी गई है।
आयुर्वेदिक दवा निर्माण के लिए बनी नई नियमावली के तहत अब सभी कंपनियों को पंजीयन के लिए ऑनलाइन आवेदन करने होगा। यह प्रक्रिया एक अप्रैल से शुरू हो गई है। आयुर्वेद दवा निर्माण इकाई में एक बीएएसएस डॉक्टर और तीन टेक्निकल स्टॉफ रखना अनिवार्य होगा। अब तक एक डॉक्टर और एक अन्य स्टॉफ से काम चल जाता था। इसी तरह कच्चा माल रखने और तैयार दवा के लिए अलग- अलग गोदाम बनाना होगा। एक दवा के लिए एक बार ही लाइसेंस बनेगा। पांच साल में संबंधित दवा का गुड मैनिफेस्टो प्रैक्टिसेज (जीएमपी) करानी होगी। यह आयुर्वेद विभाग की ओर से गठित टीम करेगी।