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यूपी : कानपुर नगर में ढाई सौ ग्राम सोना सहित बैंक मैनेजर और लाकर कंपनी के कर्मचारी समेत चार हुए गिरफ्तार।

यूपी : कानपुर नगर में ढाई सौ ग्राम सोना सहित बैंक मैनेजर और लाकर कंपनी के कर्मचारी समेत चार हुए गिरफ्तार।

                                     Renu Tiwari Reporter

कानपुर। सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की कराचीखाना शाखा के लाकरों से करोड़ों के जेवरात पार करने की घटना के मास्टरमाइंड बैंक मैनेजर, लाकर कंपनी के कर्मचारी और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आरोपितों के पास से ढाई सौ ग्राम चोरी किया हुआ सोना भी बरामद किया है। 

वहीं पुलिस सभी को जेल भेजने भेजने के साथ ही कस्टडी रिमांड में लेने की तैयारी कर रही है। ताकि, बैक के लाकरों से चाेरी किया गया जेवर बरामद किया जा सके। शनिवार को फीलखाना थाने में प्रेस कांफ्रेंस कर डीसीपी पूर्वी प्रमोद कुमार ने बताया कि आरोपितों ने वारदात को कबूला है।

वहीं मंजू भट्टाचार्य नाम की एक महिला लाकर धारक ने 14 मार्च को पुलिस में शिकायत की थी कि उनके 30 लाख रुपये कीमत के जेवर लाकर से चोरी हो गए हैं। एक के बाद ऐसे आठ और मामले सामने आए जबकि गुरुवार को फूलबाग की बैंक आफ इंडिया शाखा से भी एक लाकर से 45 लाख के जेवर चोरी होने का मामला सामने आया था। इन 10 मामलों में करीब चार करोड़ रुपये के जेवरात चोरी होने का अनुमान है। 

वहीं मुकदमा दर्ज करके जांच एसआइटी के हवाले की गई थी। पुलिस ने इस मामले में बैंक मैनेजर रामप्रसाद, लाकर संचालन करने वाली कंपनी के कर्मचारी चंद्रप्रकाश, उसके दो साथी कनकराज व राकेश को हिरासत में ले लिया और पूछताछ की, जिससे केस काफी कुछ खुल गया है। आरोपितों में शामिल रमेश लाकर कर्मचारी चंद्रप्रकाश का भाई है और फरार है। जबकि लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय मामला सामने आने के बाद से ही लापता है।

वहीं बैंक के 29 निष्प्रयोज्य लाकर तोड़े जाने थे। बैंक मैनेजर के आग्रह पर गोदरेज कंपनी ने कंपनी पैन कामर्शियल को इसके लिए अधिकृत किया था। यह काम नौ दिसंबर 2021 को होना था। कंपनी की ओर से चंद्रप्रकाश नाम का कर्मचारी वहां पहुंचा। नियमों के अनुसार वही लाकर रूम के अंदर जा सकता था। 

वहीं लेकिन बैंक मैनेजर ने चंद्रप्रकाश से संबंध रखने वाले कनकराज, राकेश एवं रमेश को भी लाकर रूम में जाने की अनुमति दी। लाकर कंपनी के कर्मचारी चंद्रप्रकाश को इस काम के लिए 300 ग्राम सोना दिया गया था। वहीं उसके साथी कनकराज को दस हजार रुपये मिले थे। उसे बाद में एक लाख रुपये देने का वायदा किया गया था।