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यूपी : कानपुर कालीबाड़ी मंदिर की मां काली स्वप्न में आकर देवी ने मंदिर स्थापना का दिया था संदेश, वहीं सच्चे मन से पुष्प अर्पित करने से पूरी होती है हर मनोकामना।

यूपी : कानपुर कालीबाड़ी मंदिर की मां काली स्वप्न में आकर देवी ने मंदिर स्थापना का दिया था संदेश, वहीं सच्चे मन से पुष्प अर्पित करने से पूरी होती है हर मनोकामना।

                                    Renu Tiwari Reporter

कानपुर। लालबंगला के हरजेंदर नगर स्थित कालीबाड़ी मंदिर में मां काली करुणामयी स्वरूप में विराजमान हैं। नवरात्र के दिनों में यहां मां के विशेष पूजन अर्चन को भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। मान्यता है कि मां को श्रद्धाभाव से अर्पित किया गया पुष्प भक्तों की कामना की पूर्ति करता है। देवी मां का शृंगार बंगाल में होने वाले देवी पूजन की तर्ज पर किया जाता है।

वहीं वर्ष 1964 में कोलकाता के प्राचीन व ऐतिहासिक मां दक्षिणेश्वर काली मां के दरबार की तरह ही चकेरी में कालीबाड़ी मंदिर की स्थापना हुई। मान्यता है कि उस समय बंगाली समाज के बुजुर्गों को मां भगवती ने स्वप्न देकर मंदिर स्थापना का संकेत भेजा था। यहां मां की प्रतिमा राजस्थान के किशनगढ़ से विशेष कोष्ठी पत्थर से बनाई गई है।

वहीं मंदिर कमेटी के संयुक्त सचिव दीपांकर भट्टाचार्य बताते हैं कि भक्तों को हर बार मां के तेजोमय स्वरूप के दर्शन होते हैं। मां के चेहरे पर एक तेज नजर आता है, जिसके चलते हर बार उनका नया स्वरूप नजर आता है।

वहीं शहर व आस-पास के जिलों से आने वाले भक्त रामादेवी चौराहे पहुंचें। यहां से कुछ दूरी पर लालबंगला मुख्य मार्ग पर मां का दरबार स्थित है। लखनऊ, उन्नाव, फतेहपुर, प्रयागराज, इटावा और औरैया से आने वाले भक्त चौराहे से होकर मंदिर पहुंचते हैं।

वहीं मां करुणामयी सभी मनोरथ पूर्ण करती हैं। मंदिर में बिखरी बंगाली छटा भक्तों के आकर्षण का केंद्र होती है। मंदिर को भव्य स्वरूप दिया जाता है। मां को खीर व विशेष प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित किया जाता है। भक्त मां के दर्शन कर बड़ी संख्या में प्रसाद ग्रहण करते हैं।