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यूपी : वाराणसी में बाबा हरदेव ने अवैध कब्जा पर उठाया था डंडा, वहीं फरमान जारी होते ही पब्लिक खुद ही हटाती थी कब्जा।

यूपी : वाराणसी में बाबा हरदेव ने अवैध कब्जा पर उठाया था डंडा, वहीं फरमान जारी होते ही पब्लिक खुद ही हटाती थी कब्जा।

                          Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। सरकार व ब्यूरोक्रेट दोनों ही एक दूसरे की कड़ी है। सरकार के काम बहुतों का याद रहता है पर ब्यूरोक्रेट के नहीं। लेकिन कुछ अधिकारियों के कार्यों को वहां की जनता लंबे अर्से तक याद रखती है। इसी कड़ी में शामिल है हरदेव सिंह। 1997 से 1999 तक यहां मुख्य नगर अधिकारी (नगर आयुक्त) व उपाध्यक्ष विकास प्राधिकरण के पद पर रहे हरदेव सिंह को काशी ने उन्हें बाबा हरदेव नाम दिया था। 

वहीं वजह थी अवैध कब्जा हटाने के लिए अभियान चलाना। बाबा ने बुलडोजर तो कम लेकिन हथौड़ा चलाने व डंडा उठाकर भांजने में पीछे नहीं रहे। काशी की घनी आबादी में गुम नालियों को खोज निकालने में अहम भूमिका बाबा हरदेव सिंह की है।

वहीं गलियों से लगायत शहर के सड़क तक की नालियों पर लोगों ने कब्जा जमा लिया था। नगर आयुक्त के रूप में बाबा हरदेव ने इसे अभियान बनाया। बकायदा फरमान जारी होता था कि शुक्रवार को फलां क्षेत्र में अवैध कब्जा हटाया जाएगा। नतीजा, पूरी रात वहां की पब्लिक स्वत: अपने घर का नक्शा लेकर कब्जा हटाने में जुट जाती थी। विरोध भी खूब हुए। 

वहीं व्यापारी धरना पर बैठे तो वहीं जनप्रतिनिधि भी आगे आए। प्रदेश में भाजपा की सरकार थी, कल्याण सिंह मुख्यमंत्री थे। महापौर भाजपा की सरोज सिंह थीं। बाबा पर अभियान बंद करने को बहुत दबाव था लेकिन बाबा नहीं रूके। पब्लिक व मीडिया का साथ मिला और बाबा ने लंका -नरिया मार्ग के चौड़ीकरण में जुट गए। गली के रूप में तब्दील इस मार्ग के चौड़ीकरण का जमकर विरोध हुआ। 

वहीं एक मंदिर के पुजारी अनशन पर बैठ गए लेकिन बाबा ने अभियान को जारी रखा। इस रोड के चौड़ीकरण के लिए क्षेत्र के लोग आज भी उन्हें याद करते हैं। रथयात्रा मार्ग के चौड़ीकरण के लिए भी उन्होंने अभियान चलाया था। शिवपुर से लंका तक जगह जगह कब्जा जमाने वालों पर भी बाबा का डंडा चला था। रविंद्रपुरी मार्ग में पुल निर्माण उन्हीं की देन है।

वहीं सेवानिवृत्त बाबा हरदेव सिंह ने कहा कि काशी में बहुत काम हुए थे। कहा कि 15 दिन में नालियों से कब्जा हटाने का अभियान एतिहासिक था। विरोध हुए लेकिन लोगों ने स्वयं एक फरमान पर नालियों से कब्जा हटाते थे। मजदूर नहीं मिलते थे तो लोग रात रात भर स्वयं जगकर मलवा हटाते थे। अवैध कब्जा तोड़ते थे। कहा कि बुलडोजर भी खूब दौड़े। कुछ लोगों ने मेरा नाम ही बुलडोजर बाबा रख दिया था।