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यूपी : वाराणसी में डाक विभाग की बड़ी लापरवाही आई सामने मां अन्नपूर्णा के प्रसाद भरे लिफाफे एमपी इटारसी में सड़क किनारे फेंके मिले।

यूपी : वाराणसी में डाक विभाग की बड़ी लापरवाही आई सामने मां अन्नपूर्णा के प्रसाद भरे लिफाफे एमपी इटारसी में सड़क किनारे फेंके मिले।

                        Vinit Jaishwal City Reporter

वाराणसी। विश्वनाथ मंदिर के निकट अन्नपूर्णा मंदिर द्वारा संचालित काशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट दो दशक से समाज सेवा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते आ रहा है। जो भी भक्त ट्रस्ट को दान देते हैं उनके घर मां अन्नपूर्णा का प्रसाद डाक से भेजा जाता है। इसमें कुंकुम, रोरी, माता की तस्वीर, अन्न आदि होता है। डाक से भेजे प्रसाद के लिफाफे मध्यप्रदेश के इटारसी स्थित मेहरागांव के पास फेंके मिले। इससे भक्तों की आस्था को ठेस पहुंची।

वहीं डाक विभाग से रेल व सड़क मार्ग से संपूर्ण भारत व विदेशो में प्रसाद भेजा जाता है। दो दिन पहले डाक विभाग की लापरवाही सामने आई। कुछ स्थानीय लोग मेहरागांव में सुबह टहलने निकले तो सड़क किनारे प्रसाद देखे। लोगों ने इसकी सूचना अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी को दी। महन्त ने वहां के क्षेत्रीय डाक विभाग अधिकारी को दी। अधिकारी ने कहा कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी। महंत ने कहा कि इस तरह की लापरवाही ठीक नहीं लोगों के आस्था से खिलवाड़ हो रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से भी शिकायत की जाएगी।

वहीं इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कथा यहां बेहद चर्चित है। कहते हैं एक बार काशी में अकाल पड़ गया था, चारों तरफ तबाही मची हुई थी और लोग भूखों मर रहे थे। उस समय महादेव को भी समझ नहीं आ रहा था कि अब वे क्‍या करें। ऐसे में समस्‍या का हल तलाशने के लिए वे ध्‍यानमग्‍न हो गए, तब उन्हें एक राह दिखी कि मां अन्नपूर्णा ही उनकी नगरी को बचा सकती हैं। 

वहीं इस कार्य की सिद्धि के लिए भगवान शिव ने खुद मां अन्नपूर्णा के पास जाकर भिक्षा मांगी। उसी क्षण मां ने भोलेनाथ को वचन दिया कि आज के बाद काशी में कोई भूखा नहीं रहेगा और उनका खजाना पाते ही लोगों के दुख दूर हो जाएंगे। तभी से अन्‍नकूट के दिन उनके दर्शनों के समय खजाना भी बांटा जोता है। जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि इस खजाने का पाने वाला कभी आभाव में नहीं रहता।

वहीं अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण में कुछ अन्‍य मूर्तियां स्थापित है, जिनके दर्शन सालभर किए जा सकते हैं। इन मूर्तियों में मां काली, शंकर पार्वती और नरसिंह भगवान के मंदिर में स्‍थापित मूर्तियां शामिल हैं। बताते हैं कि अन्नपूर्णा मंदिर में ही आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत् की रचना कर के ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। ऐसा ही एक श्‍लोक है अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे, ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती। इस में भगवान शिव माता से भिक्षा की याचना कर रहे हैं।